जीवन में सफलता हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम से बड़ा कुछ नहीं होता। ऐसे में यह मायने नहीं रखता कि घर की आर्थिक स्थिति या सामाजिक परिवेश या जन्म स्थल कहां का है। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के सतना जिले में यहां के एक छोटे से गांव दलदल से किसान की बेटी डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंच गई है।स्वाति सिंह ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2025 में यह मुकाम हासिल किया है। स्वाति ने कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन से यह मुकाम हासिल किया। तीन बार असफलता मिलने के बाद भी चौथे प्रयास में उसे सफलता मिली। जब रिजल्ट घोषित होने के बाद वह वापस अपने गांव पहुंची तो लोगों ने धूमधाम के साथ उसका स्वागत किया।
सातवीं रैंक हासिल की
सतना जिले के रामपुर बघेलान के दलदल गांव की गरीब किसान की बेटी स्वाति सिंह अब डिप्टी कलेक्टर बन गई है। स्वामी ने एमपीएससी परीक्षा में सातवीं रैंक हासिल की है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतना से की। इसके बाद फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित का विषय लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की।
पिता किसान, एक भाई और एक है बहन
स्वाति सिंह के पिता पुष्पराज सिंह किसान हैं तो उनकी मां उर्मिला सिंह गृहणी है। स्वाति सिंह का छोटा भाई अंश सिंह कांप्टीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है तो बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। ग्रामीण बताते हैं कि पिता ने कठिन परिश्रम से बेटे और बेटी के सपने को उड़ान दी। उनकी शिक्षा-दीक्षा में कोई कमी नहीं रखी। यही वजह है कि स्वाति ने एमपीपीएससी की बेहतर तैयारी की और सफलता हासिल की।
खाने-पीने सोने के अलावा जो समय बचा, उसमें पढ़ाई की
स्वाति सिंह का कहना है कि वह खाने-पीने और सोने के अलावा जितना भी समय बचता था, वह पूरा समय पढ़ाई में देती थी। एमपी पीएससी की तैयारी उन्होंने 2017 से ही शुरू कर दी थी। 8 महीने की कोचिंग भी की और यूपी पीएससी की तैयारी की। उन्होंने एमपी पीएससी की तैयारी बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी के की। वह तीन बार असफल भी हुईं लेकिन निराश नहीं हुईं। परिवार के समर्थन से लगातार चौथे अटेंप्ट में यह सफलता हासिल कर ली। इसके लिए उसके गुरुजनों का मार्गदर्शन भी मिला। वह डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद अब शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर फोकस करना चाहती हैं। उन्होंने संदेश दिया कि पूरी ऊर्जा के साथ मेहनत कीजिए, सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी।