भारत अपने पड़ोसी देश चीन से निपटने के हर संभव तैयारी कर रहा है। यही वजह है कि न सिर्फ रक्षा क्षेत्र बल्कि संपर्क मार्ग से भी जोड़ा जा रहा है। भारत चीन से लगे दुर्लभ क्षेत्र में सडक़ बनाने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने सीमा पर संपर्क बढ़ाने की बड़ी तैयारी की है। योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में 2420.97 करोड़ रुपए की 113 सडक़ परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। भारत और चीन के बीच लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में 3488 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। भारत इन सभी क्षेत्रों तक सडक़ बना रहा है ताकि चीन की घुसपैठ या युद्ध की स्थिति में आसानी से वहां तक पहुंचा जा सके।
सडक़ बनाने की रफ्तार रफ्तार दोगुनी
भारत ने लद्दाख में 2017 से 2020 के बीच प्रतिवर्ष 470 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण किया है। भारत-चीन सीमा सडक़ के पहले और दूसरे चरण में 73 सडक़ों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया था। खास बात यह है कि इनमें से 61 सडक़ों का निर्माण हो चुका है और इसे सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ को सौंपाजा चुका है।
पाकिस्तान-चीन दोनों पर भारत की नजर
भारत सिर्फ चीन ही नहीं फोकस नहीं कर रहा है बल्कि उसकी नजर पाकिस्तान पर भी है। यही वजह है कि एलओसी और एलएसी पर सिंगल और डबल्स लेन सडक़ों का निर्माण हो रहा है। कुछ जगहों पर फोरलेन सडक़ भी बन रही है। यह सडक़ें ऐसी हैं, जो सभी मौसम में चालू रहेंगे और किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सकेगा। भारत पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर 4230 किलोमीटर लंबी सीमा सडक़ों में से 3785 किलोमीटर का निर्माण किया जा चुका है।