सीरिया में असद शासन का पतन हो चुका है, लेकिन कई देशों के लिए यह खतरे की घंटी है। रूस और ईरान के लिए यह सदमे के समान है, तो अमेरिका और इजराइल जैसे पश्चिम देशों के लिए यह खतरे की घंटी है। यही वजह है कि इजरायल ने बड़ा एक्शन शुरू कर दिया है और पूरे सीरिया में सैन्य ठिकानों पर हवाई हमला किया है। इजरायली सेना ने 2 दिनों में सीरिया में लगभग 480 हमले किए हैं। इससे सीरिया के रणनीतिक हथियार भंडार को नुकसान पहुंचा है। इजरायली नौसेना ने लटाकिया में सीरियाई नौसेना बेड़ों को नष्ट कर दिया, जो एक बड़ी सफलता है। दरअसल अमेरिका और इजराइल को डर है कि असद शासन के अंत के बाद यहां आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन फल-फूल सकते हैं। यही कारण है कि दोनों देशों ने सीरिया को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं।
नेतन्याहू ने बताया था नाटकीय अध्याय
इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने बशर अल-असद के शासन के पतन को एक नया और नाटकीय अध्याय बताया था। उन्होंने कहा कि सीरियाई शासन का पतन उन गंभीर प्रहारों का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिनसे हमने हमास, हिजबुल्लाह और ईरान पर हमला किया है। हम मिडिल ईस्ट का चेहरा बदल रहे हैं। इजरायली अधिकारियों ने ईरान के कट्टर सहयोगी असद के पतन पर खुशी जताई है। सीरिया लेबनान में हिजबुल्लाह को हथियारों की आपूर्ति के लिए रास्ता देता था। हालांकि इजरायल अब कट्टरपंथियों को लेकर चिंतित है। इजरायल सीरिया में मिसाइल और केमिकल हथियारों की फैक्ट्री पर हमला कर रहा है, ताकि यह गलत हाथों में न पड़ जाएं।
350 फाइटर जेट से किए हमले
इजरायल की ओर से 480 हमलों में से लगभग 350 फाइटर जेट से किए गए। मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू जेट, टैंक और हथियार उत्पादन स्थलों को निशाना बनाकर ये हमले किए गए। बाकी हमले जमीनी अभियान के समर्थन में थे, जिनमें हथियार डिपो, सैन्य संरचनाओं, लॉन्चरों और फायरिंग पोजीशन को निशाना बनाया गया। जहाजों ने सीरिया की दो नौसैनिक फैसिलिटी पर हमला किया, जहां 15 जहाज खड़े थे। इससे दर्जनों समुद्री मिसाइल तबाह हो गईं। कई देश इजरायल पर जमीन हथियाने का आरोप लगा रहे हैं।