दीपावाली का त्यौहार खुशियों और प्रकाश का होता है। यह भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और ज्ञान पर अज्ञानता की जीत का प्रतीक है। भगवान राम इसी दिन लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे और खुशियां मनाई थीं। दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नए साल की शुरुआत
दीवाली को भारत के कुछ हिस्सों में नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन नए काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से हो चुकी है। इस वर्ष दीवाली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
इन शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश जी का पूजा
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। यह समय देवी लक्ष्मी की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से मध्य रात्रि तक रहेगा। घरों में साफ-सफाई करके, दीप जलाकर, और मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इन 3 शुभ मुहूर्त में भी लक्ष्मी पूजा
-प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त का समय- शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक पूजा की जा सकती है।
-वृषभ काल में पूजा मुहूर्त का समय-शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक पूजा का समय।
-निशिता काल में पूजा मुहूर्त का समय-रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 21 बजकर 31 मिनट तक।