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    75 दिवसीय रहता है बस्तर दसराहा पसरा.. सीएम साय ने देखी प्रदर्शनी और प्रतीकात्मक रथ

    छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व छत्तीसगढ़ की अनुठी सांस्कृतिक विशेषतापूर्ण एवं बस्तर के जन-जातियों की आराध्य देवी दन्तेश्वरी तथा स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा विधान के रूप में मनाया जाता है। दसराहा पसरा में 75 दिवसीय दशहरा उत्सव में होने वाले मुख्य विधि विधान होते हैं। इनमें पाट जात्रा, डेरी गढ़ाई, काछन गादी, रैला देवी पूजा, जोगी बिठाई, रथ परिक्रमा, बेल पूजा, निशा जात्रा, मावली परघाव, भीतर रैनी-बाहर रैनी काछन जात्रा, कुटुंब जात्रा व डोली विदाई की जीवन्त प्रतिकृति स्थापित कर जन सामान्य एवं पर्यटकों को सुलभ जानकारी देने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बस्तर जिले के एक दिवसीय प्रवास के दौरान यहां पहुंचे। उन्होंने 2 करोड़ 99 लाख 78 हजार से अधिक की लागत के बस्तर दसराहा पसरा के विकास कार्य का लोकार्पण किया। यहां दंतेश्वरी मंदिर के समीप स्थित पुराने तहसील कार्यालय का जीर्णोद्धार कर बस्तर दशहरा के लिए समर्पित किया गया है। इसका नाम बस्तर दसराहा पसरा (बस्तर दशहरा हेतु स्थल) दिया गया है।

    प्रतीकात्मक रथ के पास फोटो भी खिंचवाई

    मुख्यमंत्री ने पसरा में बस्तर दशहरा के विभिन्न रस्मों की फोटो प्रदर्शनी, प्रतीकात्मक रथ, देवी देवताओं के प्रतीकों अवलोकन कर उनकी सराहना की। उन्होंने प्रतीकात्मक रथ के समीप फोटो भी खिंचवाई। तहसील कार्यालय में पहले से चली आ रही परंपरा अनुसार दशहरा पर्व में शामिल होने वाले क्षेत्र के सभी देवी देवता, आंगादेव, देवी की छत्र की उपस्थिति का दर्ज इसी स्थल पर किया जाता रहा है। प्रशासन द्वारा तहसील कार्यालय को अन्य स्थल पर स्थांनातरित कर पुराने तहसील कार्यालय को दसराहा पसरा के लिए चिन्हांकित कर दिया गया है।

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