उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी राज्य के सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों से जुड़ी समस्याओं का समयबद्ध ढंग से नहीं निपटाने से नाराज हैं। उन्होंने सख्ती दिखाते हुए जिलाधिकारी से लेकर विभागाध्यक्षों व शासन में तैनात अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दे दी है। उन्होंने लंबित मसलों को तेजी से निपटाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने 2022 में समस्याओं के समाधान के लिए बनाई गई व्यवस्था के संबंध में जारी शासनादेश के अनुरूप कार्रवाई करने को कहा है। मुख्य सचिव को ये निर्देश इसलिए देने पड़े क्योंकि उनके पास शिकायतें पहुंची हैं। अधिकारी सेवारत व सेवानिवृत्त सैनिकों व उनके आश्रितों की समस्याओं को ठंडे बस्ते में डाल रहे थे। इससे शासन की छवि खराब हो रही थी। इसलिए सीएस को सख्ती दिखानी पड़ी। जिलों से लेकर शासन स्तर तक लंबित पड़ी शिकायतों का निपटारा कराने के लिए पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
निजी रूप से ध्यान देना होगा
सीएस राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा कि उत्तराखंड सैनिक बहुल राज्य है। राज्य के जांबाजों ने सेना में अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक देश की सेवा में हमेशा विशेष योगदान व बलिदान दिया है। उनकी समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर न होने से वे अपनी संपत्ति और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के बारे में चिंतित रहते हैं, इसलिए समस्याओं के हल के लिए निजी रूप से ध्यान देना होगा।
जिलास्तरीय व राज्यस्तरीय समिति बनाई गई
पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के भूमि विवाद, भूमि मुआवजा, पुलिस सुरक्षा, बैंक से ऋण, बैंक में पेंशन, बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक अनुदान, बिजली, पानी की समस्या आदि के समाधान के लिए डीएम की अध्यक्षता में जिलास्तरीय व शासन स्तर पर सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय समिति बनाई गई है। इसमें नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं। इन समितियों और नोडल अधिकारियों को पूर्व सैनिकों, सैनिकों व उनके आश्रितों की समस्या का समाधान एक निश्चित समय-सीमा पर करना है और शासन को इसकी सूचना मुहैया करानी है।