हार नहीं, संघर्ष छोड़ने वालों की होती है
यह बात बिल्कुल सही कही गई है, “हारता वही है जो लड़ता नहीं।” IAS प्रीति बेनीवाल की कहानी इस कथन की सच्चाई को प्रमाणित करती है। कुछ लोग जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हैं, लेकिन अपने धैर्य और मेहनत के बल पर सफलता प्राप्त कर लेते हैं। प्रीति बेनीवाल की प्रेरणादायक सफलता की कहानी ऐसा ही एक उदाहरण है।
प्रीति बेनीवाल: एक साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफर
हरियाणा के दुपेड़ी गांव की निवासी प्रीति बेनीवाल ने फफड़ाना गांव के एक प्राइवेट स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। दसवीं कक्षा में उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए थे। उनकी मां बबीता पास के आंगनवाड़ी में काम करती थीं, और उनके पिता पानीपत थर्मल प्लांट में कार्यरत थे। प्रीति ने अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई मतलौदा में की, और बारहवीं कक्षा के बाद इसराना कॉलेज से B.Tech और M.Tech में ऑनर्स के साथ डिग्री प्राप्त की।
बैंक क्लर्क से लेकर विदेश मंत्रालय तक का सफर
प्रीति ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 2013 से 2016 तक बहादुरगढ़ के ग्रामीण बैंक में क्लर्क के रूप में काम किया। इसके बाद जनवरी 2016 से जनवरी 2021 तक उन्होंने करनाल में FCI में असिस्टेंट जनरल II के पद पर सेवा दी। जनवरी 2021 में उन्हें विदेश मंत्रालय में असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया।
दुर्घटना और जीवन की सबसे बड़ी चुनौती
दिसंबर 2016 में प्रीति को गाजियाबाद में FCI के विभागीय प्रमोशन परीक्षा में शामिल होना था। लेकिन गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। अचानक वह ट्रेन के सामने गिर गईं और ट्रेन उनके ऊपर से गुजर गई। इस हादसे के बाद उन्हें 14 सर्जरी की जरूरत पड़ी और उन्होंने एक साल से अधिक समय तक बिस्तर पर बिताया।
कठिनाइयों के बावजूद सपनों का पीछा
ट्रेन हादसे के बाद प्रीति का विवाह टूट गया, और उनके मंगेतर और ससुराल वालों ने उन्हें अस्वीकार कर दिया। लेकिन प्रीति ने हार मानने के बजाय अपने बचपन के IAS बनने के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की। दो बार असफल रहने के बाद, बिना किसी कोचिंग के, 2020 में उन्होंने 754वीं रैंक के साथ इस परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया।
संकल्प और संघर्ष की मिसाल
प्रीति बेनीवाल की कहानी इस बात की मिसाल है कि अगर व्यक्ति के पास दृढ़ संकल्प और संघर्ष करने की इच्छाशक्ति हो, तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी प्रेरणा बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। प्रीति की सफलता हमें यह संदेश देती है कि असली हार वही है जो अपने सपनों का पीछा करना छोड़ देता है। इसलिए, कभी हार मत मानो और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो।