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    महाकुंभ का ग्रह और राशियों से है संबंध.. प्रयागराज में 12 साल बाद विराट आयोजन

    लाखों हिंदुओं के श्रद्धा का केंद्र महाकुंभ मेला उप्र के प्रयागराज में वर्ष 2025 में लगेगा। हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है और इस बार का कुंभ प्रयागराज में होगा। कुंभ मेले का आयोजन कब और कहां किया जाएगा, इसका निर्धारण ग्रहों और राशियों की स्थिति देखकर किया जाता है। कुंभ मेले की तिथि को निर्धारित करने में सूर्य और गुरु को अहम माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक गुरु जब वृष राशि में होते हैं और सूर्य मकर राशि में होते हैं तो मेले का आयोजन प्रयाग में होता है। वहीं सूर्य जब मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं तो कुंभ हरिद्वार में लगता है। जब सूर्य और गुरु सिंह राशि में होते हैं तो महाकुंभ मेला नासिक में लगता है। वहीं जब गुरु सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं तो कुंभ का आयोजन उज्जैन में होता है।

    13 जनवरी से आरंभ

    उप्र की आध्यात्मिक नगरी प्रयागराज में मां गंगा के तट पर कुंभ मेले का आयोजन अगले वर्ष 2025 में 13 जनवरी से होगा। इससे पहले यह आयोजन वर्ष 2013 में हुआ था। इस मेले का संबंध ज्योतिष और आस्था दोनों से माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार वृष राशि में बृहस्पति होने पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। साल 2025 में बृहस्पति वृष राशि में होगा। सूर्य और चंद्रमा के मकर राशि में प्रवेश करने पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। 2025 में यह संयोग बनेगा और तब 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक यह मेला लगेगा।

    महाकुंभ के प्रमुख स्नान की तिथियां

    2025 में महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्राति के दिन होगा। वहीं दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा। तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी बसंत पंचमी को होगा। इन 3 शाही स्नान के अलावा महाकुंभ कुछ और भी स्नान की तिथियां प्रमुख मानी जाती हैं। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा का स्नान, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा का स्नान और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्नान सबसे महत्वपूर्ण है।

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