लेखिका अरुंधति रॉय को 14 साल पुराना एक बयान महंगा पडऩे वाला है। 21 अक्टूबर 2010 को अरुंधति ने आजादी-द ओनली कान्फ्रेंस में कश्मीर को भारत का अलग हिस्सा बताया था। अब 10 साल बाद उन पर केस चलने वाला है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज करने कहा था। 27 नवंबर 2010 को अरुंधति और प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन पर एफआईआर दर्ज हुई थी। तब दोनों ने कहा था कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था। उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया है। भारत से जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए थे। शिकायतकर्ता ने अदालत को रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई थी।
जो कहा गलत, 10 साल क्यों चुप रहे : प्रियंका
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अरुंधति रॉय ने जो भी कहा है, वह पूरी तरह से गलत है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अगर कोई इसमें दरार डालना चाहेगा तो हम उसका विरोध करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि यह मामला 2010 का है और पिछले 10 सालों से केंद्र में पीएम मोदी की सरकार है। वे इस मुद्दे पर अब तक चुप क्यों थे? 10 साल बाद जब कम बहुमत वाली सरकार बनी है, तो यह फैसला राजनीतिक लगता है।