भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सैन्य तनाव जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के नाम से जाना जाता है, ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ा दी है। हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के एक बयान ने इस विवाद को फिर से गरमा दिया है, जिसमें उन्होंने भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी की है।पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुई सैन्य झड़पों का जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने भारत को “कभी न भूलने वाला सबक” सिखाया है।
बयान के मुख्य बिंदु
- दावा और धमकी: शरीफ ने कहा कि दिल्ली से मुंबई तक भारत इस हार को याद रखेगा। उन्होंने पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई को एक बड़ी जीत बताया।
- परमाणु शक्ति का जिक्र: हालांकि उन्होंने पहले परमाणु हमले की संभावना को खारिज किया था, लेकिन उनके हालिया लहजे में भारत के प्रति “जहर उगलने” जैसी स्थिति देखी गई, जहाँ उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति का गुणगान किया।
- भारत पर आरोप: उन्होंने भारत की कार्रवाई को “कायरतापूर्ण” और पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया।
क्या था ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ की गई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई थी।
- पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी।
- भारत का जवाब: इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। भारतीय वायुसेना और सेना ने पाकिस्तान के अंदर स्थित कम से कम 9 आतंकी कैंपों को निशाना बनाया।
- सटीक हमले: भारत ने बहावलपुर और मुरीदके जैसे इलाकों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को ध्वस्त किया। इसमें ‘हैमर’ (HAMMER) जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों का उपयोग किया गया।
तथ्यों की स्थिति और भारत की प्रतिक्रिया
जहाँ पाकिस्तान इसे अपनी जीत बता रहा है, वहीं वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञों और भारतीय दावों के अनुसार:
- भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अड्डों (जैसे नूर खान एयरबेस) और आतंकी ढांचों को भारी नुकसान पहुँचाया।
- संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के कम से कम 5 लड़ाकू विमान गिराए गए थे।
- भारत ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा में थी और इसका उद्देश्य किसी क्षेत्र पर कब्जा करना नहीं, बल्कि आतंकवाद की कमर तोड़ना था।
- विशेषज्ञों का मानना है कि शहबाज शरीफ का यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाने की एक कोशिश है।


