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    BJP-RSS उड़ा रहे धज्जियाँ.. संविधान दिवस पर खड़गे का वार

    संविधान दिवस के अवसर पर, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसके मूल्यों पर ज़ोर देते हुए, RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और BJP पर तीखा हमला किया है।

    लोकतंत्र और मूल्यों की रक्षा पर ज़ोर

    खरगे ने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर और पंडित नेहरू के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान सभा के साथ मिलकर केवल संविधान का ही नहीं, बल्कि एक ऐसे भारत का निर्माण किया, जहाँ लोकतंत्र सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारत की पहचान बन चुकी है।हालांकि, उन्होंने तुरंत चेतावनी दी कि “आज ये पहचान खतरे में हैं।”

    RSS पर संविधान विरोधी होने का आरोप

    खरगे ने सीधे तौर पर RSS को आड़े हाथों लिया और ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू हुआ था, तब RSS जैसे संगठन खुले तौर पर कहते थे कि संविधान “पाश्चात्य मूल्यों” पर आधारित है, और उनका आदर्श मनुस्मृति है। उन्होंने कहा, “इतिहास गवाह है कि वे संविधान के ख़िलाफ़ थे।” खरगे ने आरोप लगाया कि 11 दिसंबर, 1948 को RSS ने रामलीला मैदान में एक बड़ा सम्मेलन करके डॉ. अंबेडकर जी का पुतला भी फूँका था। उन्होंने RSS के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ (नवंबर 1949) के विरोध का हवाला दिया और तत्कालीन RSS प्रमुख गोलवलकर के एक कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने मनु के नियमों को दुनिया की प्रशंसा का पात्र बताया था, जबकि भारतीय संवैधानिक पंडितों के लिए वे “कुछ भी नहीं” थे।

    आज़ादी की लड़ाई और प्रतिबंध

    खरगे ने RSS पर आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेज़ों का साथ देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी जी उसी RSS की लाल किले से तारीफ करते हैं, जबकि सरदार पटेल जी ने 30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या के बाद RSS पर पहला प्रतिबंध लगाया था।

    दिखावा और ढोंग

    खरगे ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि जो लोग कभी संविधान से ज़्यादा मनुस्मृति को मानते थे, वे आज मजबूरी और राजनीतिक आवश्यकता के कारण संविधान को अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने BJP-RSS पर संस्थानों को चोट पहुँचाने और संविधान की धज्जियाँ उड़ाने का आरोप लगाया। अंत में, उन्होंने कहा कि आज उनका संविधान के प्रति सम्मान केवल दिखावा और ढोंग है, लेकिन आज ये लोग बाबासाहेब की प्रतिमा पर फूल चढ़ा रहे हैं—यह भारत के संविधान और हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी जीत है।

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