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    मार्च 2026 तक नक्सलवाद के नाश का लक्ष्य; क्या माओवाद को घुटनों पर ले आई सरकार?

    सही मायनों में नक्सलवाद (वामपंथी उग्रवाद) भारत में अपनी आखिरी साँसें गिन रहा है। केंद्र सरकार की बहुआयामी (Multi-pronged) रणनीति ने पिछले एक दशक में इस उग्रवाद को घुटनों पर ला दिया है, जिसके परिणामस्वरूप नक्सल प्रभावित जिलों और हिंसा की घटनाओं में भारी गिरावट आई है। सरकार ने अब 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने ‘समाधान’ (SAMADHAN) नीति के तहत सुरक्षा और विकास के दोहरे दृष्टिकोण पर काम किया है, जिसमें मुख्य रूप से चार रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

    नक्सलियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और उनके ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए सुरक्षा बलों को सशक्त बनाया गया। विशेष बलों की तैनाती: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), और विशेष रूप से कोबरा (CoBRA) बटालियन और आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड्स जैसी विशिष्ट दस्तों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया।

    • फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB): सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में नए सुरक्षा शिविर (कैंप) स्थापित किए गए। इन शिविरों ने नक्सलियों के गढ़ों पर नियंत्रण स्थापित करने और इलाके को सुरक्षित बनाने में मदद की। पिछले कुछ वर्षों में 300 से अधिक नए सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं।
    • आधुनिक प्रौद्योगिकी: सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियार, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी उन्नत तकनीक से लैस किया गया ताकि सटीक खुफिया जानकारी जुटाकर ऑपरेशन किए जा सकें।
    • शीर्ष नेतृत्व पर निशाना: सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व और पॉलिट ब्यूरो सदस्यों को लक्षित करके ‘रेड कॉरिडोर’ के नेटवर्क को तोड़ दिया गया।

    सड़क कनेक्टिविटी: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना II के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया गया, जिससे दूरदराज के इलाकों तक सुरक्षा बलों और सरकारी योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित हुई।

    • मोबाइल कनेक्टिविटी: यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड स्कीम (अब डिजिटल भारत निधि) के तहत मोबाइल टावर लगाए गए, जिससे इन क्षेत्रों की संचार व्यवस्था मजबूत हुई और नक्सलियों के संचार स्रोतों को बाधित किया गया।
    • शिक्षा और कौशल: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) स्थापित किए गए, जिससे स्थानीय युवाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिले। ‘रोशनी योजना’ के तहत ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया।

    नक्सलियों के धन के स्रोतों पर वार करके उनकी युद्ध क्षमता को खत्म किया गया।

    • आर्थिक तंत्र ध्वस्त: NIA और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियों ने माओवादी वित्तपोषण को निशाना बनाया, जिससे उनके लिए लड़ना और अपने कैडर का समर्थन करना मुश्किल हो गया।

    भटके हुए लोगों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया गया। सरकार की इन रणनीतियों के कारण नक्सलवाद का भौगोलिक और हिंसक प्रभाव ऐतिहासिक रूप से कम हुआ है:


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