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    अप्सरा से कम नहीं IAS परी बिश्नोई, ऐसी है सफलता की कहानी

    आईएएस परी बिश्नोई राजस्थान के अजमेर की रहने वाली हैं और बिश्नोई समाज से आने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। उनकी सफलता की कहानी कड़ी मेहनत, संयम और सही रणनीति का परिणाम है। अपने बिश्नोई समाज से पहली महिला आईएएस अधिकारी बनने का गौरव रखती हैं। उनकी सफलता की यात्रा दृढ़ संकल्प, सही रणनीति और कड़ी मेहनत का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।अजमेर, राजस्थान से वह एक शिक्षित परिवार से आती हैं। पिता मनीराम बिश्नोई (पेशे से एडवोकेट), माँ सुशीला बिश्नोई (अजमेर में राजकीय रेलवे पुलिस-GRP में हैं। शुरुआती पढ़ाई राजस्थान से, स्नातक ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) से। अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी (MDS University) से पॉलिटिकल साइंस में पढाई की। उन्होंने आदमपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक भव्य बिश्नोई से शादी की है और वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार की बहू हैं।

    यूपीएससी सफलता की कहानी:

    • ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) की तैयारी शुरू कर दी थी। लगनशील होने के बावजूद, उनके पहले दो प्रयासों में उन्हें निराशा हाथ लगी। माता-पिता के सहयोग और प्रोत्साहन के साथ, परी ने अपनी पिछली गलतियों से सीखते हुए तीसरे प्रयास के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया। इस दौरान उन्होंने मोबाइल और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली। साल 2019 में अपने तीसरे प्रयास में, परी बिश्नोई ने ऑल इंडिया 30वीं रैंक हासिल की। इस सफलता के साथ, वह महज 23 साल की उम्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पद पर चयनित हुईं। आईएएस परी बिश्नोई आज यूपीएससी के उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं।
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