अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी का दिल्ली दौरा और भारत द्वारा उनका स्वागत, दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। जहां भारत ने मुत्तकी की यात्रा के दौरान अफगानिस्तान में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में बदलने का ऐलान किया है, वहीं इस बढ़ती दोस्ती के पीछे केवल भारत-पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता और तालिबान-पाकिस्तान का टकराव ही नहीं है, बल्कि अमेरिका के भू-राजनीतिक रुख और चीन की बढ़ती चिंता भी एक प्रमुख कारण है।
असली वजह: अमेरिका और बगराम एयरबेस
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के भारत की ओर झुकाव का सबसे अहम कारक अमेरिका का रुख है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बगराम एयरबेस पर अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आह्वान तालिबान को असहज करता है। तालिबान जानता है कि बगराम पर अमेरिका की वापसी अनिवार्य रूप से पाकिस्तानी सहयोग से ही संभव हो सकती है।
- पाकिस्तान-अमेरिका गठजोड़ का डर: इमरान खान की सरकार गिरने के बाद, तालिबान को अपने खिलाफ अमेरिका-पाकिस्तान की मिलीभगत का डर सता रहा है। बगराम एयरबेस की वापसी की चर्चा तालिबान को यह संदेश देती है कि अमेरिका क्षेत्रीय प्रभाव के लिए पाकिस्तान पर निर्भर हो सकता है, जिससे अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में इस्लामाबाद का दखल बढ़ सकता है।
- संतुलन की तलाश: इस संभावित क्षेत्रीय “द्वि-एकाधिकार” (अमेरिका-पाकिस्तान) को संतुलित करने के लिए तालिबान ने तेजी से भारत के साथ अपने संबंध सुधारने पर जोर दिया है। भारत, जो अफगानिस्तान में एक प्रमुख विकास भागीदार रहा है, तालिबान के लिए एक विश्वसनीय क्षेत्रीय सहयोगी हो सकता है।
पाकिस्तान का किरदार: तनाव और प्रतिद्वंद्विता
पाकिस्तान की भूमिका तालिबान को भारत के करीब लाने में एक उत्प्रेरक की रही है:
- बिगड़ते संबंध: पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच बीते कुछ समय से भारी तनाव है। डूरंड रेखा (बॉर्डर) पर विवाद और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर पाकिस्तान के आरोपों ने रिश्तों को खराब किया है।
- क्षेत्रीय संतुलन: भारत और अफगानिस्तान दोनों के पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय विवाद हैं, जिसने काबुल-दिल्ली के बीच मेल-मिलाप को बढ़ावा दिया है, क्योंकि दोनों देश पाकिस्तान को काबू करने के लिए एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं।
चीन की चिंता और प्रतिक्रिया
मुत्तकी के दिल्ली दौरे से चीन की चिंता भी बढ़ी है।
- चीन को कमजोर करने की अमेरिकी कोशिश: बगराम एयरबेस पर अमेरिकी वापसी की इच्छा को बीजिंग स्पष्ट रूप से चीन को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखता है।
- समन्वित समर्थन की संभावना: इस नई भू-राजनीतिक स्थिति के जवाब में, भारत के साथ-साथ चीन भी अफगानिस्तान के लिए समन्वित समर्थन शुरू कर सकता है। इसका उद्देश्य पुनर्जीवित अमेरिका-पाकिस्तान क्षेत्रीय धुरी को संतुलित करना और क्षेत्रीय भू-राजनीति को नया रूप देना है।
संक्षेप में, तालिबान का भारत की तरफ झुकाव केवल पाकिस्तान से बिगड़े रिश्तों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की बगराम एयरबेस पर संभावित वापसी की रणनीति के खिलाफ एक कूटनीतिक संतुलन बनाने की तालिबान की कोशिश है, जिस पर चीन भी बारीकी से नजर रखे हुए है।