डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान एच-1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि के कारण भारतीय रुपया मंगलवार को 48 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.76 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।
रुपये में गिरावट का कारण
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के मुताबिक, एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी से भारत के आईटी क्षेत्र से होने वाले धन प्रेषण (remittance) और इक्विटी की बिकवाली को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस साल विदेशी निवेश पहले से ही कमजोर रहा है, ऐसे में यह शुल्क वृद्धि भारतीय मुद्रा के लिए दोहरी मार साबित हुई है।
- बाजार में उथल-पुथल: अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से अमेरिका से भारत को होने वाले धन प्रेषण में कमी आने और भारत के सेवा निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है।
- वैश्विक जोखिम: जानकारों का कहना है कि वैश्विक जोखिम से बचने की प्रवृत्ति और व्यापार नीति की अनिश्चितता ने भी रुपये की कमजोरी को बढ़ावा दिया है।
- बाजार से निकासी: सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने बताया कि निवेशकों ने सोमवार को शेयर बाजार से 2,910 करोड़ रुपये निकाले, जिससे रुपये पर और दबाव बढ़ा।
बाजार की स्थिति
मंगलवार को रुपया 88.41 पर खुला और जल्द ही 88.76 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले सोमवार को यह 12 पैसे गिरकर 88.28 पर बंद हुआ था।
- शेयर बाजार: घरेलू शेयर बाजार में भी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 271.99 अंक (0.33%) गिरकर 81,887.98 पर और निफ्टी 80.65 अंक (0.32%) गिरकर 25,121.70 पर आ गया।
- विदेशी निवेश: एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सोमवार को 2,910.09 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची।
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार: डॉलर सूचकांक 0.04% बढ़कर 97.38 पर कारोबार कर रहा था, जबकि ब्रेंट क्रूड 0.51% गिरकर 66.23 डॉलर प्रति बैरल पर था।