आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति में ड्रोन का महत्व लगातार बढ़ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ड्रोन भविष्य की लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। ऐसे में भारत अपनी ड्रोन युद्ध क्षमता को बढ़ाने पर तेजी से काम कर रहा है, खासकर चीन और पाकिस्तान से संभावित खतरों को देखते हुए। भारत अपनी ड्रोन युद्ध क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है, स्वदेशी उत्पादन और विदेशी अधिग्रहण दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हालांकि चीन और पाकिस्तान के पास भी महत्वपूर्ण ड्रोन क्षमताएं हैं, भारत की बढ़ती विशेषज्ञता और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर भविष्य की ड्रोन लड़ाई के लिए उसे बेहतर स्थिति में ला रहा है।
भारत की तैयारी:
- ड्रोन निर्यात: भारत अब कई देशों को ड्रोन निर्यात कर रहा है, जिनमें अमेरिका और इजराइल जैसे देश भी शामिल हैं।
- स्वदेशी उत्पादन: भारत ने घरेलू स्तर पर ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश की एक कंपनी और आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप ने मिलकर महू में लड़ाकू ड्रोन बनाना शुरू किया है, जो पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ और AI आधारित होंगे।
- एडवांस्ड ड्रोन: भारत के पास इजराइल से प्राप्त ‘हार्पी’ और ‘हैरोप’ जैसे अटैक ड्रोन हैं, जो दुश्मन के रडार सिस्टम को भ्रमित कर सकते हैं। इसके अलावा, भारत ने ‘हेरोन मार्क-2’ जैसे हाई-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन भी हासिल किए हैं, जो 24 घंटे तक हवा में रह सकते हैं। अमेरिका से 31 MQ-9B ‘प्रीडेटर’ ड्रोन भी भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किए जाएंगे।
- नीतिगत समर्थन: भारत सरकार ने ड्रोन के उपयोग और विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘ड्रोन नियम 2021’ लागू किए हैं, जिन्हें समय-समय पर अपडेट किया जा रहा है।
- ड्रोन शक्ति: भारतीय वायुसेना और ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया ‘भारत ड्रोन शक्ति’ जैसे आयोजनों के माध्यम से भारतीय ड्रोन उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं।
चीन और पाकिस्तान की स्थिति:
- चीन: चीन ड्रोन प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक नेता है। उसके पास ‘सनफ्लॉवर-200’ जैसे कामिकेज़ ड्रोन हैं जो 1500-2000 किमी तक उड़ान भर सकते हैं और 40 किलोग्राम तक हथियार ले जा सकते हैं। चीन ने ‘ड्रोन कैरियर’ या ‘मदरशिप’ भी विकसित किए हैं, जो एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन छोड़ सकते हैं, जिससे झुंड में हमला करने की क्षमता बढ़ती है।
- पाकिस्तान: पाकिस्तान के पास ‘शाहपार-2’ और ‘अबाबील-5’ जैसे विभिन्न प्रकार के ड्रोन हैं, जिनका उपयोग निगरानी और हमलों के लिए किया जाता है। पाकिस्तान चीन और तुर्की से भी ड्रोन प्राप्त कर रहा है।
चुनौतियाँ: हालांकि भारत तेजी से प्रगति कर रहा है, चीन की विशाल उत्पादन क्षमता और उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकी अभी भी एक चुनौती है। पाकिस्तान भी चीन से सैन्य सहायता प्राप्त करता है, जिससे उसकी ड्रोन क्षमता में वृद्धि हुई है।