भारत में मानसून ने इस साल केरल में समय से पहले दस्तक दे दी है और कई दक्षिणी राज्यों में इसकी प्रगति तेज रही है। हालांकि, मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून की इस शुरुआती बढ़त के बाद लगभग 10 दिनों का ब्रेक लग सकता है। इसका मतलब है कि देश के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत में मानसून का इंतजार बढ़ सकता है।
ब्रेक का कारण और प्रभावित राज्य:
- कमजोर प्रगति: शुरुआती तेजी के बाद, मानसून की रफ्तार धीमी पड़ने की संभावना है। यह एक सामान्य मौसमी पैटर्न है जहां मानसून कभी-कभी एक मजबूत शुरुआत के बाद रुक जाता है, जिसे “ब्रेक इन मानसून” कहा जाता है।
- मध्य और उत्तर भारत: इस ब्रेक का सबसे ज्यादा असर मध्य और उत्तर भारत के राज्यों पर पड़ सकता है। इन राज्यों में, जहां आमतौर पर मानसून जून के मध्य या अंत तक पहुंचता है, वहां इस बार थोड़ी और देरी हो सकती है।
- इन राज्यों का बढ़ेगा इंतजार:
- उत्तर प्रदेश: पूर्वी यूपी में जहां मानसून 20 जून तक आता है, और पश्चिमी यूपी में 25-30 जून तक, वहां थोड़ी और देरी हो सकती है।
- बिहार और झारखंड: इन राज्यों में 16-18 जून तक मानसून के सक्रिय होने की संभावना है, लेकिन ब्रेक के कारण कुछ दिनों की देरी हो सकती है।
- दिल्ली और हरियाणा: दिल्ली और हरियाणा में मानसून आमतौर पर 27-30 जून के आसपास दस्तक देता है। 10 दिन के ब्रेक से यह तारीख आगे खिसक सकती है।
- राजस्थान: राजस्थान में मानसून 25 जून से 5 जुलाई के बीच पूरे राज्य में फैलता है, और यहां भी इंतजार बढ़ सकता है।
- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़: इन राज्यों में 15-20 जून तक मानसून के दस्तक देने की उम्मीद है, लेकिन ब्रेक के कारण थोड़ी देरी संभव है।
IMD का पूर्वानुमान: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने समग्र रूप से इस साल सामान्य से अधिक मानसून का पूर्वानुमान लगाया है (दीर्घावधि औसत का 106%)। हालांकि, यह ब्रेक मानसून के भौगोलिक फैलाव और समय को प्रभावित कर सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि कुल बारिश अच्छी हो सकती है, लेकिन इसका वितरण और शुरुआती आगमन में देरी कृषि गतिविधियों और जल प्रबंधन पर असर डाल सकती है। किसानों और आम जनता को मौसम विभाग के अपडेट्स पर नजर रखनी होगी, ताकि वे अपनी तैयारियों को उसी हिसाब से ढाल सकें।