कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास में बोलते हुए ऑपरेशन सिंदूर के पीछे भारत के औचित्य को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत ने जोर से और समझदारी से वार करने का फैसला किया, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ पारंपरिक कूटनीतिक और कानूनी रास्ते पर्याप्त साबित नहीं हो रहे थे। इसलिए हमने आतंकी ठिकानों को नष्ट किया और आतंकवाद के फन को कुचल दिया।
डोजियर पेश किए, कार्रवाई करने का आग्रह किया
थरूर ने समझाया कि भारत ने लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे को उठाया है, डोजियर पेश किए हैं और पाकिस्तान से अपनी धरती पर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। हालाँकि, इन प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान ने लगातार इनकार किया और सीमा पार से आतंकवाद जारी रहा। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को एक कड़ा जवाब देना जरूरी हो गया था। इस हमले ने देश को झकझोर दिया और लोगों में गुस्सा भर दिया। ऑपरेशन सिंदूर का नाम भी प्रतीकात्मक था, जो खून और सिंदूर के समान रंग को दर्शाता है, और बताता है कि कैसे आतंकवादियों ने मासूमों का खून बहाकर महिलाओं को विधवा बना दिया।
आतंकवादियों को दंडित करना और उनकी कमर तोडऩा था उद्देश्य
थरूर ने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान के साथ व्यापक संघर्ष भडक़ाना नहीं था, बल्कि आतंकवादियों को दंडित करना और उनकी कमर तोडऩा था। उन्होंने कहा कि यह एक सटीक और कैलिब्रेटेड हमला था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित 9 विशिष्ट आतंकवादी ठिकानों, मुख्यालयों और लॉन्चपैड को निशाना बनाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाने के लिए नहीं थी, बल्कि सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ थी। थरूर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का सम्मान करे। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी कार्रवाई में संयम और सटीकता का प्रदर्शन किया है, और यह संदेश देना चाहता है कि अगर भविष्य में ऐसे हमले दोहराए गए तो भारत चुप नहीं बैठेगा।