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    उद्धव से अच्छा प्रस्ताव मिलेगा, तभी गठबंधन पर विचार.. मनसे ने पिछले धोखे की दिलाई याद

    महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के बीच संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि मनसे ने गठबंधन को लेकर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और शिवसेना (यूबीटी) से अच्छा प्रस्ताव मिलने पर ही विचार करने की बात कही है। इसके साथ ही मनसे ने उद्धव ठाकरे गुट को पिछले धोखे की भी याद दिलाई है।

    2017 की दिलाई याद

    मनसे नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए साफ तौर पर कहा है कि वे अब कोई भी कदम फूंक-फूंक कर रखेंगे। उनका इशारा 2017 के बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनावों के बाद हुए घटनाक्रम की ओर है, जब मनसे के सात नगरसेवक (पार्षद) जीते थे, लेकिन उनमें से छह को तत्कालीन शिवसेना (जो अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना है) ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। इस घटना को मनसे ने अपने साथ हुए धोखे के रूप में देखा था।

    शर्तों का नहीं किया खुलासा

    मनसे अब स्पष्ट और ठोस शर्तों के साथ ही गठबंधन पर विचार करना चाहती है। पार्टी के नेता यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अतीत की गलतियां न दोहराई जाएं और उन्हें भविष्य में एक सम्मानजनक और विश्वसनीय गठबंधन भागीदार के रूप में देखा जाए। हालांकि मनसे ने अपनी शर्तों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह समझा जा रहा है कि वे सीट बंटवारे और पार्टी के हितों को लेकर एक मजबूत आश्वासन चाहेंगे। हाल के दिनों में दोनों ठाकरे भाइयों के एक साथ आने की अटकलें तेज हुई हैं, खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद, जिसमें दोनों दलों को झटका लगा था। शिवसेना (यूबीटी) के कुछ नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से इस पुनर्मिलन की इच्छा व्यक्त की है। उनका मानना है कि ठाकरे ब्रांड को एक साथ लाने से महाराष्ट्र में मराठी वोटों को मजबूत किया जा सकता है। फिलहाल मनसे ने उद्धव ठाकरे गुट को गेंद उनके पाले में डाल दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना (यूबीटी) मनसे को किस तरह का प्रस्ताव देती है और क्या वे पुराने मतभेदों को भुलाकर एक साथ आ पाते हैं।

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