हरियाणा के गुरुग्राम भूमि मामले में समन मिलने के बाद कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा अपने घर से ईडी कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब भी मैं लोगों की आवाज बुलंद करूंगा, ये लोग मुझे दबाएंगे और एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे। मैं हमेशा सभी सवालों के जवाब देता हूं और देता रहूंगा। गौरतलब है कि यह मामला 2014 के बाद सुर्खियों में आया है, जब से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है।
यह है पूरा मामला
रॉबर्ट वाड्रा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद हैं और राहुल गांधी के जीजाजी हैं। गुरुग्राम में भूमि सौदों से जुड़े एक मामले में वे जांच के घेरे में हैं। यह मामला 2008 में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड नामक उनकी कंपनी द्वारा गुरुग्राम के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदने से संबंधित है। बाद में इसी जमीन को कथित तौर पर डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया था। इस सौदे में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसमें भूमि के उपयोग में बदलाव और कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन शामिल है। हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रहा है और रॉबर्ट वाड्रा से कई बार पूछताछ कर चुका है।
8 अप्रैल को जारी हुआ था समन
15 अप्रैल, 2025 को रॉबर्ट वाड्रा को इसी गुरुग्राम भूमि मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में बुलाया गया है। वह सुबह ईडी कार्यालय पहुंचे और जांच में सहयोग की बात कही है। इससे पहले भी उन्हें इस मामले में 8 अप्रैल को पेश होने के लिए समन भेजा गया था, लेकिन वह उस समय पेश नहीं हुए थे। यह मामला राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील रहा है, जिसमें कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है, जबकि भाजपा सरकार ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। मामले की जांच अभी जारी है और आगे क्या निष्कर्ष निकलते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।