2008 के मुंबई आतंकी हमले में 166 लोगों की जान गई थी। इस हमले में कई पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, जिसमें मुंबई पुलिस के 3 बड़े अधिकारी भी शामिल थे। पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने इस भीषण हमले को अंजाम दिया था। तहव्वुर राणा इस साजिश के मुख्य षड्यंत्रकारियों में से एक था, जो अब भारत की कैद में है। उसने ही हमले की रैकी थी। अमेरिकी न्याय विभाग ने खुलासा किया कि आतंकी राणा ने 26/11 के तुरंत बाद मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली से बात की थी। उसने कहा था कि भारतीय इसी के लायक थे और ऐसे हमले होते रहना चाहिए। उसने मुंबई हमलों में सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए लश्कर-ए-ताइबा के नौ आतंकियों की तारीफ कर कहा था कि सभी को पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए। यह सम्मान पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान है। ऐसे में पाकिस्तान की कलई भी खुलती नजर आ रही है कि वहां नरसंहार करने वालों का किस तरह सम्मान किया जाता है।
शिकागो में रची थी साजिश
दो साल से अधिक समय तक हेडली शिकागो में राणा से बार-बार मिला और लश्कर की गतिविधियों, मुंबई हमले की साजिशों पर बातचीत की। अमेरिकी न्याय विभाग ने राणा की हेडली के साथ इंटरसेप्ट की गई बातचीत के हवाले से यह खुलासा किया है। वहीं एनआईए ने राणा से नई दिल्ली स्थित मुख्यालय पर पूछताछ की। एजेंसी के अनुसार राणा सहयोग नहीं कर रहा है। हिरासत के दौरान एजेंसी रोजाना राणा से पूछताछ की डायरी तैयार करेगी। अंतिम चरण की पूछताछ के बाद इसे पूरे मामले के खुलासे के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा।
कई राज उगलवाने बाकी
आतंकी राणा ने हमले से पहले जिन शहरों का दौरा किया था, जांच एजेंसी उसे उन्हीं स्थानों पर ले जाकर पूछताछ करेगी। उम्मीद है कि इससे अहम सुराग मिलेंगे। राणा 13 से 21 नवंबर, 2008 के बीच पत्नी समराज अख्तर के साथ उत्तर प्रदेश के हापुड़ व आगरा, दिल्ली, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई गया था। शक है कि इसके पीछे अन्य स्थानों को भी निशाना बनाने की साजिश तो नहीं थी। राणा से पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा और आईएसआई के साथ संबंधों पर भी पूछताछ होगी।
मारे गए थे 6 अमेरिकी नागरिक
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा क हमने मुंबई हमले की साजिश रचने के आरोपों का सामना करने के लिए राणा को भारत प्रत्यर्पित किया है। भारत के साथ हमने मारे गए 166 लोगों के इंसाफ के लिए अरसे तक आवाज उठाई। मृतकों में छह अमेरिकी भी थे और खुशी है कि इन्साफ का दिन आ गया है।