पंजाब के लुधियाना के बिक्रमजीत सिंह ने जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है। बिक्रमजीत सिंह लुधियाना के पास एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती छोडक़र जैविक खेती को अपनाया और अपनी मेहनत और लगन से इसे एक लाभकारी उद्यम बना दिया है। उन्होंने विभिन्न प्रकार की फसलें जैसे कि सब्जियां, फल, और अनाज जैविक तरीके से उगाना शुरू किया। उन्होंने हमेशा अपनी उपज की उच्च गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया, जिसके कारण उनके उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग बनी रही।
यह है सफलता का कारण
बिक्रमजीत सिंह ने बिचौलियों को हटाकर सीधे उपभोक्ताओं तक अपने उत्पाद पहुंचाने के लिए विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया, जैसे कि किसान बाजार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म। इससे उन्हें बेहतर मुनाफा मिला। उन्होंने सिर्फ एक या दो फसलों पर निर्भर न रहकर विभिन्न प्रकार की जैविक फसलों की खेती की, जिससे उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद मिली। विक्रमजीत ने जैविक खेती की नवीनतम तकनीकों और तरीकों को सीखा और उन्हें अपने खेत में लागू किया। उन्होंने अपने जैविक उत्पादों की आकर्षक ब्रांडिंग और पैकेजिंग की, जिससे उनकी पहचान बनी और उपभोक्ताओं का विश्वास जीता। बिक्रमजीत सिंह की कहानी कई अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनी है जो जैविक खेती को एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय के रूप में देखना चाहते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि किसानों के लिए भी आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है।
बीमा कंपनी में किया था काम
बिक्रमजीत सिंह का कृषि से उद्योग तक का सफर बहुत खास है। 2005 में ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पहले एक बीमा कंपनी में काम किया। वह 9 से 5 की नौकरी करते थे। उन्होंने 2.75 एकड़ जमीन पर खेती भी शुरू की। अनार के बागान में नुकसान होने पर बिक्रमजीत ने नींबू की खेती शुरू की। 2010 में एमबीएम करने के बाद उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में एंट्री की। लेकिन उनकी असली दिलचस्पी खेती में ही थी। 2014 में उन्होंने अपनी नौकरी छोडऩे का फैसला लिया। उस समय तक वह खेती से अच्छी कमाई करने लगे थे।
लीज पर जमीन लेकर खेती बढ़ाई
बिक्रमजीत सिंह ने 200 एकड़ लीज पर जमीन लेकर जैविक खेती को बढ़ाया। उन्होंने 100 एकड़ में फलों के बाग लगाए। बाकी 100 एकड़ में गेहूं, बासमती चावल, मक्का, गन्ना और सब्जियां उगाईं। उनके साथ 600 किसान 8,000 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। किसानों को वह न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर की कीमतें देते हैं। इससे उन्हें अच्छी आय होती है। आधुनिक तकनीक, स्मार्ट मैनेजमेंट कौशल और स्थानीय किसानों के सहयोग से उन्होंने 100 करोड़ रुपये का व्यवसाय खड़ा कर दिया है।