दिग्गज एक्टर मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन हो गए। उन्हें राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। जुहू स्थित श्मशान घाट में हुए अंतिम संस्कार में अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके बेटे अभिनेता अभिषेक बच्चन और कई बड़े अभिनेता, निर्देशक पहुंचे। मनोज कुमार ने 4 अप्रैल को 87 वर्ष की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। शनिवार को भारत कुमार का अंतिम संस्कार दोपहर 12 बजे विलेपार्ले श्मशान भूमि पर किया गया। अंतिम विदाई देने के लिए उनके परिवार और रिश्तेदार के अलावा भारी संख्या में फिल्मी सितारे और फैन्स भी आसपास मौजूद थे।
दिल्ली में बचपन बीता
मनोज कुमार का बचपन उत्तर दिल्ली के विजय नगर के डी ब्लॉक के मकान नंबर 29 में बीता था। इसी घर में उनके पिता हरबंस लाल गोस्वामी अपने परिवार के साथ 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आने के बाद रहने लगे थे। मनोज कुमार का परिवार पाकिस्तान के ऐबटाबाद से आया था, जहां ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ था और अमेरिका ने उसे मार गिराया था।
पिता ने किसी तरह मुंबई भेजा
मनोज कुमार को दिल्ली के अड़ोस-पड़ोस के लोग प्यार से गुल्लू कहते थे। मनोज कुमार के पिता को विजय नगर में सब बाऊजी कहते थे। मनोज कुमार के परिवार को शुरुआती दौर में दिल्ली में शरणार्थियों के लिए बने बैरकों में रहना पड़ा था। मनोज कुमार फिल्मों में जाना चाहते थे और हरबंस लाल गोस्वामी ने कोशिश करके अपने बेटे को किसी तरह मुंबई भेजा। वे मुंबई जाकर मनोज कुमार बन गया। मेहनत और अभिनय की वजह से उन्होंने फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाई। कांच की गुडिय़ा, शहीद, उपकार, हरियाली और रास्ता, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान जैसी अनेक फिल्में हिट हुईं। मनोज स्वयं ही लेखक, निर्देशक और प्रोड्यूसर बन गए।