हरियाणा में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा आज भी शक्तिशाली है। यही वजह है कि चुनाव में हुड्डा गुट की ही चलती है। लोकसभा चुनावों में भी हुड्डा ने 10 में से 9 करीबियों को टिकट दिलवाए थे, तो विधानसभा में भी उनका ही बोलबाला रहा। हुड्डा ने 89 सीटों में से 73 टिकटें अपने करीबियों को दिलवाई हैं। इससे यह तय हो गया कि इन चुनावों में भी कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला गुट की नहीं चली।
इस नियम से भी लगा झटका
सैलजा और सुरजेवाला सांसद हैं और उन्होंने विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी भी कर ली थी। लेकिन कांग्रेस ने पहले ही तय कर लिया था कि वह मौजूदा सांसदों को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाएगी। इससे दोनों नेताओं की हसरतों पर पानी फिर गया। माना गया कि यह हुड्डा खेमे की चाल थी, जिससे दोनों नेता चुनाव से बाहर हो गए। हुड्डा की शख्सियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईकमान और कई कांग्रेसी नेताओं के विरोध के बावजूद हुड्डा ने जेल में बैठे सोनीपत के विधायक सुरेंद्र पंवार को भी टिकट दिला दिया।
11 सीटों पर सिमट गया सैलजा-सुरजेवाला गुट
विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा समर्थकों को केवल 9 सीटों कालका, पंचकूला, हिसार, फतेहाबाद, जगाधरी, अंबाला कैंट, नारायणगढ़, टोहाना, सढौरा व असंध पर ही टिकट मिले हैं। वहीं रणदीप सुरजेवाला के हिस्से में केवल दो सीटें आई हैं। एक टिकट सुरजेवाला के बेटे को दी गई है तो दूसरी सीपीआईएम के खाते में गई है।
हुड्डा के 73 करीबियों को मिली टिकट.. सैलजा-सुरजेवाला गुट पर पड़े भारी
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