भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने की भारत की नीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह जानने पर जोर दिया है कि क्या भारत को इस सौदे से वाकई फायदा हो रहा है या नुकसान। राजन ने कहा कि भारत का रूसी तेल आयात छोटे निर्यातकों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है।
राजन ने कहा कि भारत को यह समझना होगा कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से रूस के तेल की कीमतें कम हो गई हैं, लेकिन इससे भारत के लिए व्यापार की लागत बढ़ गई है।
रूस से तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान नहीं किया जा सकता, जिससे भारतीय निर्यातकों को अपने भुगतान में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राजन ने कहा कि इस स्थिति से कुछ बड़ी भारतीय कंपनियां, जो रूसी तेल का प्रसंस्करण कर रही हैं, तो मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन छोटे निर्यातकों को नुकसान हो रहा है।
राजन का मानना है कि भारतीय मुद्रा रुपये में व्यापार का विकल्प भी पूरी तरह से कारगर नहीं है क्योंकि रूसी कंपनियां भारतीय उत्पादों को खरीद नहीं रही हैं, जिससे भुगतान में संतुलन की समस्या पैदा हो रही है।
रघुराम राजन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत दुनिया में रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत रूस से तेल खरीदने के लिए भारतीय रुपये और यूएई दिरहम का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन इससे व्यापार की समस्याएं और भी बढ़ रही हैं।
राजन के इस बयान से यह बात सामने आई है कि रूस से तेल खरीदने से भारत की अर्थव्यवस्था को कुछ अप्रत्यक्ष नुकसान हो रहे हैं, जिनका आकलन करना जरूरी है।