लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सोमवार को संसद के मानसून सत्र के छठे दिन सदन में हुए हंगामे से खासे नाराज दिखाई दिए। उन्होंने कांग्रेस सांसदों राहुल गांधी और गौरव गोगोई का नाम लेते हुए कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि सदस्यों को सदन में पर्चे फेंकने या तख्तियां लहराने के लिए नहीं भेजा गया है। बिरला की यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब विपक्षी सदस्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान लगातार हंगामा कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, चर्चा के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए पर्चे उछाले और तख्तियां लहराईं, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई। ओम बिरला ने इस व्यवहार को संसदीय मर्यादा का उल्लंघन बताया।
उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी और गौरव गोगोई की ओर इशारा करते हुए कहा, “आपको सदन में पर्चे फेंकने या तख्तियां लहराने के लिए नहीं भेजा गया है। जनता आपको यहां अपनी समस्याओं को उठाने और रचनात्मक बहस में भाग लेने के लिए भेजती है।” बिरला ने आगे कहा कि ऐसे आचरण से सदन की गरिमा को ठेस पहुंचती है और यह संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने सदस्यों से सदन की कार्यवाही में सहयोग करने और नियमों का पालन करने का आग्रह किया।
लोकसभा अध्यक्ष की यह कड़ी टिप्पणी तब आई है जब विपक्ष लगातार पहलगाम हमले में खुफिया विफलता और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विभिन्न पहलुओं पर सरकार से जवाब मांग रहा है। हालांकि, बिरला का कहना था कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर हंगामा करने के बजाय सार्थक बहस होनी चाहिए।
राहुल गांधी और गौरव गोगोई सहित कांग्रेस के कई सदस्य ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार से और जानकारी की मांग कर रहे थे और गृह मंत्री व रक्षा मंत्री की उपस्थिति पर जोर दे रहे थे। यह देखना होगा कि ओम बिरला के इस सख्त रवैये के बाद सदन में विपक्ष का व्यवहार कैसा रहता है।