चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 21 मई से 5 जून 2025 तक रहस्यमय तरीके से सार्वजनिक रूप से अनुपस्थित रहने और अब 6-7 जुलाई को ब्राजील में होने वाली ब्रिक्स शिखर बैठक से उनकी दूरी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कयासों का बाजार गर्म है। इन घटनाक्रमों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के भीतर संभावित आंतरिक सत्ता संघर्ष और जनरलों के विरोध की अटकलों को हवा दे दी है।
यह पहली बार है जब शी जिनपिंग ने अपने 12 साल के कार्यकाल में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ब्रिक्स बैठक में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनकी इस अनुपस्थिति को पश्चिमी मीडिया में गंभीरता से देखा जा रहा है और इसे उनकी घटती शक्ति के संकेत के रूप में व्याख्यायित किया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शी जिनपिंग के 16 दिनों तक गायब रहने के बाद से ही चीनी सोशल मीडिया पर सत्ता परिवर्तन की अफवाहें फैलनी शुरू हो गई थीं। ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि पीएलए के कई वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है, जिनमें रॉकेट फोर्स के शीर्ष नेता भी शामिल हैं, जो चीन के परमाणु हथियारों को नियंत्रित करती है। जनरल हे वेइडोंग, जो देश के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी थे और ताइवान पर संभावित आक्रमण की योजना में शामिल थे, को भी हटाए जाने की खबरें हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएलए के भीतर शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष पनप रहा है। शी ने सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत कई जनरलों को बर्खास्त किया है, लेकिन हालिया ‘सफाई’ से संकेत मिलता है कि वे अभी भी पीएलए पर पूर्ण नियंत्रण हासिल नहीं कर पाए हैं। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि जिनपिंग के अचानक गायब होने और ब्रिक्स से दूरी बनाने के पीछे पीएलए के जनरलों का बढ़ता विरोध हो सकता है, जो उनके नेतृत्व को चुनौती दे रहा है। हालांकि, बीजिंग ने इन अटकलों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।