अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली प्रस्तावित बैठक से पहले एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस बैठक में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए ‘इजरायल के फॉर्मूले’ पर विचार किया जा सकता है। इस फॉर्मूले के तहत, यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सैन्य और आर्थिक सहायता जारी रहेगी, लेकिन उसे नाटो में शामिल होने की गारंटी नहीं दी जाएगी।
इस योजना का खुलासा तब हुआ जब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ट्रंप और पुतिन दोनों ही इस विकल्प पर सहमत हो सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य युद्ध को समाप्त करना और रूस को कुछ सुरक्षा गारंटी देना है, ताकि वह भविष्य में फिर से हमला करने से बचे।
यह प्रस्ताव यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जेलेंस्की लगातार नाटो में सदस्यता की मांग कर रहे हैं, जिसे वह अपने देश की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। इस फॉर्मूले को स्वीकार करने का मतलब होगा कि उन्हें अपनी इस प्रमुख मांग को छोड़ना पड़ेगा।
हालांकि, यह भी सच है कि यूक्रेन को लंबे समय तक युद्ध जारी रखने में मुश्किल हो रही है, और देश के भीतर भी शांति की मांग बढ़ रही है। ऐसे में जेलेंस्की के लिए यह एक मुश्किल फैसला होगा कि वह इस प्रस्ताव को स्वीकार करें या नहीं। अगर वह इसे स्वीकार कर लेते हैं, तो यह युद्ध को समाप्त करने का एक रास्ता हो सकता है, लेकिन अगर वह मना कर देते हैं, तो युद्ध और भी लंबा खिंच सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जेलेंस्की इस प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाते हैं।