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    महाराष्ट्र में क्या टूटे ‘दलों’ के मिलेंगे ‘दिल’.. पवार और ठाकरे परिवार में क्या बनेगी बात?

    महाराष्ट्र में पवार परिवार हो या ठाकरे परिवार, दोनों की एक समय तूती बोला करती थी। बालासाहेब ठाकरे हिंदुओं के हृदय सम्राट थे और एक समय उनके इशारे पर पूरी मुंबई और महाराष्ट्र उठ खड़ा होता था। वैसा ही जलवा शरद पवार का था, जिन्हें महाराष्ट्र का चाणक्य कहा जाता है। ठाकरे परिवार में बालासाहेब के जीते-जी उद्धव और राज ठाकरे अलग-अलग हो गए। वहीं शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने उनसे उनकी पार्टी छीन ली। उद्धव, शरद और कांग्रेस एक साथ आई लेकिन विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया। अब चर्चा है कि ठाकरे और पवार परिवार एक साथ आ सकते हैं।

    सुप्रिया बोलीं-हम कभी अलग नहीं हुए

    शरद पवार की बेटी व सांसद सुप्रिया सुले से इस संभावित मिलन पर सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि पवार परिवार कभी अलग नहीं हुआ। हम सभी भाई-बहन अपने पूर्वजों के सिखाए मूल्यों के साथ बड़े हुए हैं। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वह कभी रिश्तों की दीवार नहीं बने। यह बयान ऐसे समय आया है जब एनसीपी (अजित पवार गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के विलय की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। हालांकि दोनों नेताओं की इन मुलाकातों को अब तक औपचारिक करार दिया गया है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी सिर्फ औपचारिक नहीं होता। जानकार मानते हैं कि अगर चाचा-भतीजा साथ आते हैं तो यह महाराष्ट्र की मौजूदा सत्ता समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है। सुप्रिया सुले का यह स्पष्ट संकेत है कि भले ही राजनीति में राहें जुदा हों, लेकिन पारिवारिक रिश्तों की डोर अब भी मजबूत है।

    राज ठाकरे का बड़ा बयान

    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के बयान ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ किए पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को लेकर कहा कि उद्धव ठाकरे के साथ मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। अगर महाराष्ट्र हित के लिए हमें एक होना होगा तो मैं उसके लिए तैयार हूं। राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र हित के सामने हमारे झगड़े, हमारी बातें छोटी होती हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है और ये झगड़े और विवाद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए बहुत महंगे है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि एक साथ आने और एक साथ रहने में कोई कठिनाई है, लेकिन विषय केवल इच्छा का है। केवल मेरी इच्छा का मामला नहीं है। महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए।

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