देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल और जियो ने स्टारलिंक के साथ करार किया है जिससे भारत में सेटेलाइट इंटरनेट का रास्ता साफ होते दिख रहा था। ये करार स्टारलिंक की सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए था। लेकिन इस पर अब सवाल उठ रहे हैं। क्या भारत में स्टारलिंक की एंट्री होगी या नहीं इस पर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सवाल खड़े कर दिए हैं। वैष्णव ने एक्स पर पोस्ट कर एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का भारत में स्वागत किया। वैष्णव ने लिखा, स्टारलिंक भारत में आपका स्वागत है! दूर-दराज के रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोगी होगा। इसके एक घंटे बाद उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी। अब ऐसे में स्टारलिंक को सरकार से मंजूरी मिलेगी या नहीं इस पर सवाल उठ रहे हैं।
6 जी का रास्ता होगा साफ?
भारती एयरटेल लिमिटेड के एमडी और वाइस चेयरमैन गोपाल विट्टल ने कहा कि स्पेसएक्स के साथ मिलकर एयरटेल ग्राहकों को स्टारलिंक देना एक बड़ी उपलब्धि है। यह अगली पीढ़ी की सेटेलाइट कनेक्टिविटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दिखाता है। चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा कि 4जी, 5जी और आगे 6जी की तरह अब हमारे पास एक और तकनीक होगी।
एंट्री का मौका देख रही स्टारलिंक
स्टारलिंक 2022 से भारतीय बाजार में प्रवेश करने की कोशिश में है। पहले एयरटेल और जियो ने इसका विरोध किया था। अब अश्विनी वैष्णव ने स्टारलिंक का स्वागत किया, लेकिन बाद में पोस्ट हटा दी। यह दर्शाता है कि सरकार के अंदर अभी भी इस मामले पर चर्चा हो सकती है। स्टारलिंक के आने से भारत के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ेगी। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में क्रांति भी ला सकता है। हालांकि मौजूदा टेलीकॉम कंपनियों की चिंताएं भी जायज हैं। सरकार को ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे सभी के हितों का ध्यान रखा जा सके। ऐसे में अब देखना होगा कि स्टारलिंक को भारत में कब और किन शर्तों पर काम करने की अनुमति मिलती है। यह भारतीय टेलीकॉम उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।