बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सबकी नजरें बिहार पर टिकी हुई हैं। यहां मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों के बीच होना है। नीतीश कुमार बिहार में कई अलग-अलग कार्यकालों में सत्ता में रहे हैं। पहला कार्यकाल बहुत कम समय के लिए रहा और उन्होंने पहली बार मार्च 2000 में 3 मार्च से 10 मार्च तक सत्ता संभाली। बहुमत साबित नहीं होने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरा कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 17 मई 2014 तक। तीसरा कार्यकाल 22 फरवरी 2015 से 19 नवंबर 2015 तक। चौथा कार्यकाल 20 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 तक। पांचवां कार्यकाल 27 जुलाई 2017 से 16 नवंबर 2020 तक। छठा कार्यकाल 16 नवंबर 2020 से 9 अगस्त 2022 तक। सातवां कार्यकाल 10 अगस्त 2022 से 28 जनवरी 2024 तक और आठवां कार्यकाल 28 जनवरी 2024 से वर्तमान तक रहा। वे बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाला मुख्यमंत्री हैं।
त्रिकोणीय मुकाबला और बदलते रहे पाला
बिहार की राजनीति ने एक बार फिर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है। दशकों तक दो ध्रुवों में बंटी रहने वाली बिहार की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया, जिसमें अप्रत्याशित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नीतीश ने दो बार बीजेपी का हाथ झटका और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि अब वे कह रहे हैं कि इस बार इधर-उधर नहीं होंगे और एनडीए में ही रहेंगे।
नीतीश-मोदी और तेजस्वी-राहुल का मुकाबला
इस बार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार अगुआ होंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। वहीं 20 साल से सत्ता से बाहर रही आरजेडी की धुरी तेजस्वी यादव होंगे। बहरहाल उन्होंने लोक-लुभावन वादे करने भी शुरू कर दिए हैं। अब देखना होगा कि बिहार की जनता किस पर विश्वास करती है। राहुल गांधी और कांग्रेस भी इस बार सीटें बढ़ाने का प्रयास करेगी और आरजेडी-कांग्रेस में सीटों को लेकर तनातनी हो सकती है।