पहलगाम में जिन्होंने हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वाले को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। सजा मिलकर रहेगी। आतंकियों की बची-खुशी जमीन को मिट्टी में मिला देने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंकी आकाओं की कमर तोडक़र रहेगी। पूरा विश्व यह जान ले कि हम उन्हें ढूंढेगा और दंड देंगे। इस बार गुनाह की सजा मिलकर रहेगी। पूरा विश्व और देश इस बात को समझ ले। यह कड़ी प्रतिक्रिया पीएम मोदी की है, जिन्होंने बिहार की धरती से आतंक के आकाओं को ललकारा है। इससे यह साफ हो गया है कि भारत पाकिस्तान और उसके पाले आतंकियों को सबक सिखाएगा। यह हमला कैसे और कहां होगा, किस पर होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि इस बार आतंकी की कमर तोडऩे के लिए भारत किसी भी हद तक जा सकता है।
इन विकल्पों पर काम शुरू
भारत ने राजनयिक दबाव बनाने के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश के रूप में अलग-थलग करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करके एक बड़ा आर्थिक दबाव बनाने का संकेत दिया है। इस कदम से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। भारत व्यापार संबंधों को पूरी तरह से समाप्त करने जैसे और भी कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। भारत संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय जैसे मंचों पर इस मुद्दे को उठा सकता है और पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है।
इन विकल्पों पर भी विचार
सर्जिकल स्ट्राइक : 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की तरह, भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बना सकता है। इस तरह की कार्रवाई सीमित और लक्षित होती है, जिसका उद्देश्य आतंकवादियों को मारना और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करना होता है।
एयर स्ट्राइक : बालाकोट में 2019 में की गई एयर स्ट्राइक की तरह, भारत पाकिस्तान के अंदर गहरे बैठे आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को हवाई हमलों से निशाना बना सकता है।
एलओसी पर जवाबी कार्रवाई : पाकिस्तान की ओर से किसी भी उकसावे या गोलाबारी का भारत दृढ़ता से जवाब दे सकता है और सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत कर सकता है।
विशेष बलों के ऑपरेशन :भारत अपने विशेष बलों का उपयोग करके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लक्षित ऑपरेशन कर सकता है।
सीमित युद्ध : कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत परमाणु हथियारों की सीमा से नीचे एक सीमित युद्ध का विकल्प भी तलाश सकता है, खासकर जम्मू और कश्मीर में।
यह भी बना रहेगा खतरा
किसी भी सैन्य कार्रवाई के अपने जोखिम और परिणाम होते हैं, जिसमें पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई और क्षेत्रीय संघर्ष बढऩे की संभावना शामिल है। भारत को इन विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार करना होगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के व्यापक संदर्भ में आकलन करना होगा। वर्तमान में भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन भविष्य में सैन्य विकल्पों से इंकार नहीं किया जा सकता है।