लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड से मिली हार के बाद भारतीय टीम पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-2 से पीछे चल रही है। अब 23 जुलाई से मैनचेस्टर में शुरू होने वाला चौथा मैच भारत के लिए ‘करो या मरो’ का मुकाबला है। ऐसे में टीम के संतुलन और ऑलराउंडर की कमी पर फिर से बहस तेज हो गई है। इसी बीच, यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर क्यों भारतीय टीम के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या पिछले सात साल से टेस्ट टीम से बाहर हैं, जबकि उनके आंकड़े दोनों विभागों में शानदार रहे हैं।
हार्दिक की टेस्ट टीम से दूरी के कारण
हार्दिक पांड्या ने अपना आखिरी टेस्ट सितंबर 2018 में खेला था। उनके 11 टेस्ट मैचों में 31.29 की औसत से 532 रन हैं, जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं। गेंदबाजी में भी उन्होंने 17 विकेट लिए हैं, जिसमें 5/28 का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इन आंकड़ों के बावजूद, उनकी टेस्ट टीम में वापसी न होने के कुछ प्रमुख कारण हैं:
- पीठ की चोट और फिटनेस की समस्या: हार्दिक के टेस्ट से दूर रहने का मुख्य कारण उनकी पीठ की गंभीर चोटें और उसके बाद की लगातार फिटनेस संबंधी चिंताएं रही हैं। 2018 एशिया कप के दौरान चोटिल होने के बाद उनकी सर्जरी भी हुई। टेस्ट क्रिकेट में एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर को पांच दिनों तक लगातार बल्लेबाजी और लगभग 20-25 ओवर गेंदबाजी करने की शारीरिक मांग को पूरा करना होता है। उनकी चोट के इतिहास को देखते हुए, हार्दिक का शरीर इस तरह के भारी वर्कलोड को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है।
- स्वयं हार्दिक का फैसला और वर्कलोड प्रबंधन: हार्दिक ने खुद कई बार कहा है कि वह अभी टेस्ट क्रिकेट के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। वह अपनी ऊर्जा और फिटनेस को सीमित ओवरों के क्रिकेट पर केंद्रित करना चाहते हैं, जहां वह भारत के लिए एक मैच विजेता साबित हुए हैं। भारतीय टीम प्रबंधन भी उनके वर्कलोड को लेकर सतर्क है, ताकि उन्हें वनडे और टी20 मैचों के लिए फिट रखा जा सके।
- प्रथम श्रेणी क्रिकेट से दूरी: हार्दिक ने दिसंबर 2018 के बाद से कोई भी प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेला है। टेस्ट टीम में वापसी के लिए घरेलू क्रिकेट में लाल गेंद से प्रदर्शन करना और अपनी फिटनेस साबित करना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन हार्दिक ने इस मोर्चे पर कोई वापसी नहीं की है।
लॉर्ड्स टेस्ट में भारत को एक ऐसे खिलाड़ी की कमी खली जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों से टीम को संतुलन दे सके। ऐसे में हार्दिक की क्षमता को नजरअंदाज करना मुश्किल है, लेकिन उनकी शारीरिक सीमाएं और भविष्य की प्राथमिकताएं फिलहाल उन्हें टेस्ट क्रिकेट से दूर रख रही हैं।