रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधकर उनकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देते हैं। यह त्योहार सिर्फ एक धागे का नहीं, बल्कि स्नेह, विश्वास और कर्तव्य के बंधन का प्रतीक है।
पौराणिक कथाएं और महत्व
रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं।
- कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत काल में जब भगवान श्रीकृष्ण की उंगली में चोट लग गई और खून बहने लगा, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस पर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट में रक्षा का वचन दिया, जिसे उन्होंने चीरहरण के समय पूरा किया। यह कथा रक्षाबंधन की एक महत्वपूर्ण कहानी है।
- यमुना और यम: एक अन्य कथा के अनुसार, यमराज की बहन यमुना ने उन्हें राखी बांधी थी, जिससे यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया।
- राजा बलि और देवी लक्ष्मी: जब भगवान विष्णु राजा बलि के द्वारपाल बन गए थे, तब देवी लक्ष्मी ने एक साधारण स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि को राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बनाया। इसके बदले में उन्होंने राजा से भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ भेजने का वचन लिया।
- रानी कर्णावती और हुमायूं: इतिहास में भी रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है, जब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से अपनी रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी। हुमायूं ने इस राखी का मान रखा और रानी की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी।
रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ भाई-बहन के बीच का नहीं, बल्कि रिश्तों में सुरक्षा, सम्मान और प्रेम का भाव जगाने वाला त्योहार है।