देश और दुनिया को राधा नाम में मगन कर देने वाले वृन्दावन के महान संत प्रेमानंद महाराज हर सवाल का ऐसा जवाब देते हैं कि भक्त सुनकर ही खुश हो जाते हैं। उनकी सारी शंकाओ का समाधान मानो प्रेमानंद महाराज चुटकी में ही दूर कर देते हैं। यही वजह है कि वृन्दावन में तड़के 3 बजे से श्री राधा केलिकुञ्ज स्तिथ प्रेमानंद महाराज के आश्रम में एकांतिक वार्तालाप के लिए भक्तो की भीड़ जमा हो जाती है। यहाँ संसार की कठिनाइयों से जूझ रहे लोग आते हैं और प्रेमानंद महाराज से अपनी समस्याओ का हल पूछते हैं।
अब बीते दिन के एकांतिक वार्तालाप में एक भक्त ने पूछ लिया कि भगवान् का भजन जवानी में क्यों करना चाहिए..भजन का काम तो बुढ़ापे के लिए है न ? इस सवाल का प्रेमानंद महाराज ने ऐसा जवाब दिया कि सुनकर मौजूद सभी लोग खुश हो गए और ये भी समझ गए कि भगवान की भक्ति के लिए बुढ़ापे से ज्यादा अच्छा जवानी का समय क्यों है।
जवानी का अभ्यास बुढ़ापे में बनेगा प्रयास
प्रेमानंद महाराज ने भक्त के इस सवाल का जवाब एक उदाहरण के साथ दिया। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमने कभी बन्दूक नहीं चलाई है और न अब चला पाऊंगा क्योंकि मैंने कभी बन्दूक चलाने का अभ्यास नहीं किया है। मैंने कभी बन्दूक चलाने का प्रयास नहीं किया है। इसी तरह अगर आपने जवानी में भक्ति का अभ्यास नहीं किया है,माला नहीं जपा है तो बुढ़ापे में भी आपसे भक्ति नहीं होगी। आपने जिंदगी भर जिस चीज का अभ्यास किया है वही चीज बुढ़ापे में भी कर पाएंगे।
आनंद के साथ बीतेगा जीवन
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि इसलिए जवानी में संयम के साथ संसार के सुखो को भोगिए और नाम का जाप कीजिये। प्रेमानन्द महाराज के अनुसार प्रतिदिन सिर्फ एक घंटे नाम का जाप करना चाहिए। ऐसे में बुढ़ापे में भी चकाचक भजन होगा और जीवन आनदं के साथ बीतेगा।