उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद, अब देश के अगले उपराष्ट्रपति को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं। चूँकि यह पद संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है और उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा का सभापति होता है, इसलिए सत्ताधारी दल, NDA, जल्द ही अपने उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाएगा। यह भी चर्चा है कि इस बार दलित या मुस्लिम समुदाय से कोई चेहरा उपराष्ट्रपति पद पर आ सकता है।
दौड़ में सबसे आगे चल रहे कुछ प्रमुख नाम
दलित समुदाय से संभावित उम्मीदवार:
- थावर चंद गहलोत: ये बीजेपी के वरिष्ठ दलित नेता हैं और वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल हैं। वे कई बार राज्यसभा सांसद रहे हैं और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव और संगठन में मजबूत पकड़ उन्हें एक प्रबल दावेदार बनाती है।
- ओम माथुर: राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले ओम माथुर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में सिक्किम के राज्यपाल हैं। वे आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और उन्हें पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माना जाता है।
- रामनाथ ठाकुर: ये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं और जनता दल (यूनाइटेड) से राज्यसभा सांसद हैं। बिहार में ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों में उनकी अच्छी पकड़ है, जो उन्हें एक महत्वपूर्ण विकल्प बना सकती है।
मुस्लिम समुदाय से संभावित उम्मीदवार
- आरिफ मोहम्मद खान: वर्तमान में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को मुस्लिम समुदाय से एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। उनकी विद्वता, प्रशासनिक अनुभव और केंद्र सरकार में मंत्री रहने का अनुभव उन्हें इस पद के लिए योग्य बनाता है।
- गुलाम नबी आजाद: कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का नाम भी चर्चा में है। हालांकि, वे इस समय किसी दल से जुड़े नहीं हैं, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव और स्वीकार्यता उन्हें एक संभावित विकल्प बनाती है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। मतदान गुप्त होता है और इसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी वोट कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए, 35 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए और राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता होनी चाहिए।
जगदीप धनखड़ ने 10 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। उनके इस्तीफे के बाद, नियमानुसार जल्द से जल्द चुनाव कराना होगा, और इस प्रक्रिया में आमतौर पर 45 से 50 दिन लगते हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और NDA गठबंधन जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधते हुए किस नाम पर मुहर लगाते हैं।


