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    मुख्यमंत्री जब बन गए किसान.. यकीन न हो तो देख लें ये तस्वीरें

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरपंच से अपना सफर तय करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वे आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने अपने गृह ग्राम बगिया में किसान की भूमिका निभाई। एक किसान की तरह ही उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए मानसून की शुरुआत के साथ ही अपने पुश्तैनी खेतों में धान की बोनी का शुभारंभ किया। यह दृश्य देखकर ग्रामीण भी उत्साहित हो गए। सीएम साय की यह पहल पूरे राज्य के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बना। अब उन्हें भी लगेगा कि उनका मुख्यमंत्री एक किसान है।

    हाथों से खेतों में बिखेरा धान का बीज

    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खुद धान की बीज को अपने हाथों से खेतों में बिखेरा। उन्होंने पारंपरिक वस्त्र और पगड़ी पहने हुए किसानों के साथ जुड़ाव और उनकी समस्याओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने खेतों में बीज छिडक़ाव से पहले पारंपरिक पूजा-अर्चना की, जो जशपुर और सरगुजा अंचल के किसानों की पुरानी परंपरा है। परंपरा के मुताबिक परिवार का मुखिया पहले बीज छिडक़ता है और इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य उसका अनुसरण करते हैं।

    मैं भी किसान परिवार से हूं

    मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मैं भी एक किसान परिवार से हूं और खेती-किसानी की परंपराओं को जीवित रखना चाहता हूं। मुख्यमंत्री के नाते मैं चाहता हूं कि हमारे किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए अपनी उपज को बढ़ाएं, लेकिन पारंपरिक विरासत को भी बनाए रखें। यह पहल न केवल पारंपरिक कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, बल्कि यह भी संदेश मिलता है कि मुख्यमंत्री किसानों के साथ खड़े हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री साय ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर राज्य में बेहतर खरीफ फसल के लिए जरूरी तैयारियों की समीक्षा की थी। उन्होंने अधिकारियों को किसानों के लिए खाद-बीज की पर्याप्त व्यवस्था कराने और कृषि में तकनीक के अधिक प्रयोग पर जोर दिया था।

    किसान बोले-हमारी प्रेरणा हैं विष्णु देव

    बगिया गांव के किसानों ने कहा कि मुख्यमंत्री का हमारे साथ खेतों में काम करना हमारे लिए गर्व की बात है। इससे हमें प्रेरणा मिलती है और यह दिखाता है कि वे वास्तव में हमारी समस्याओं को समझते हैं और उनका समाधान करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने स्वयं खेती-किसानी कर नया उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे एक नेता अपने पारिवारिक और प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए जमीनी स्तर पर जनता के साथ जुड़ सकता है।

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