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    मुख्यमंत्री साय जब बन गए टीचर.. बच्चों को बताया कौन से हों पांच गुण

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ग्रामीणों के बीच ग्रामीण और किसानों के बीच किसान बन जाते हैं। ऐसा ही हुआ जब वे बगिया में राज्य स्तरीय शाला प्रवेशोत्सव में पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री साय शिक्षक की भूमिका में दिखे। वे बगिया मिडिल स्कूल के बच्चों के बीच क्लास में पहुंचे। पढ़ाई लिखाई की बातों के बीच उन्होंने संस्कृत के श्लोक-‘काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणं‘ सुनाया। उन्होंने इसका अर्थ बताते हुए कहा कि एक छात्र को कौवे की तरह कभी हार नहीं मानना चाहिए और लक्ष्यों को पाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। सारस की तरह अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त होकर काम करना चाहिए। श्वान की तरह जरूरत की नींद लें और हमेशा सतर्क रहें। संतुलित आहार लें और अपने आराम को छोडक़र और कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर चुनौतियों का सामना करने की क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक आदर्श विद्यार्थी में पांच गुण जरूर होना चाहिए।

    छत खपरैली थी और जमीन पर बैठकर पढ़ते थे

    मुख्यमंत्री साय ने बच्चों को बताया कि वे भी कभी बगिया के इसी स्कूल से पढ़ते थे। तब यहां प्राइमरी तक की कक्षाएं ही लगती थीं। उस समय स्कूल की छत खपरैल की थी और हम नीचे जमीन में बैठ कर पढ़ा करते थे। हफ्ते में एक दिन सभी बच्चे अपने-अपने घरों से गोबर लाकर यहां की लिपाई कर दिया करते थे। हालांकि अब तो स्कूल पक्के बन गए हैं। यहां कुर्सी-टेबल भी लग गए हैं, जहां पर बैठकर बच्चे पढ़ते हैं। अब स्कूल में शिक्षक भी पर्याप्त हैं। आप सभी मन लगाकर पढ़ें। खूब मेहनत करें, अपने समय का सदुपयोग करें और ऊंचा मुकाम हासिल करें।

    सपने जरूर देखें कि बड़े होकर क्या बनना है

    मुख्यमंत्री साय ने बच्चों से पूछा कि वे क्या बनना चाहते हैं। सातवीं की छात्रा पूर्णिमा ने बताया कि वह शिक्षिका बन कर दूसरों को पढ़ाना चाहती है। मुख्यमंत्री साय ने नन्ही बच्ची की सोच के लिए उसे शाबाशी दी और कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं। छात्र राजेंद्र राम ने कहा कि वे सेना में जाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री साय ने बच्चों से कहा कि सभी को बड़े होकर क्या बनेंगे यह सपना देखना चाहिए। शिक्षा आपके सभी सपनों को साकार करने का सबसे अच्छा माध्यम है।

    स्कूल से कूदकर भाग गए थे

    मुख्यमंत्री साय ने अपने स्कूली दिनों को याद किया और एक किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि जब वे यहां पढ़ते थे, उस दौरान हल्ला मच गया कि गले में सुई लगाई जा रही है। एक दिन हमारे स्कूल के बाहर एक गाड़ी आकर रुकी तो हम सबको लगा सुई लगाने कोई आया है। फिर क्या था, हम सब स्कूल की खिडक़ी से कूद कर भाग गए। तब यहां ग्रिल नहीं लगा होती थी और सिर्फ चौखट होती थी। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अपने सहपाठियों के साथ बिताए पल ताउम्र मीठी याद बनकर रह जाते हैं।

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