आधुनिक युद्ध में मिसाइलें सबसे घातक हथियारों में से एक हैं, और बैलिस्टिक व हाइपरसोनिक मिसाइलें इस दौड़ में सबसे आगे हैं। इन दोनों के बीच के अंतर को समझना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया की सैन्य ताकतें इन उन्नत तकनीकों को हासिल करने के लिए पागल हो चुकी हैं।
बैलिस्टिक मिसाइलें
बैलिस्टिक मिसाइलें वे मिसाइलें हैं जो अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक “बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र” का पालन करती हैं। इसका मतलब है कि उन्हें रॉकेट इंजन द्वारा ऊपर की ओर लॉन्च किया जाता है, जो उन्हें वायुमंडल से बाहर या उसके ऊपरी हिस्से तक ले जाता है। एक बार इंजन बंद हो जाने के बाद, वे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में एक चाप (परवलयिक पथ) में अपने लक्ष्य की ओर गिरती हैं।
- गति: इनकी गति मैक 5 (ध्वनि की गति से 5 गुना) से अधिक हो सकती है, लेकिन ये हाइपरसोनिक मिसाइलों जितनी तेज़ नहीं होतीं।
- उड़ान पथ: इनका पथ पूर्वानुमानित होता है और इन्हें हवा में आसानी से मोड़ा नहीं जा सकता, जिससे इन्हें इंटरसेप्ट करना सैद्धांतिक रूप से आसान हो जाता है (हालांकि बड़ी दूरी पर भी यह मुश्किल होता है)।
- रेंज: ये छोटी दूरी से लेकर अंतरमहाद्वीपीय (ICBM – 5,500 किमी से अधिक) तक हो सकती हैं।
- पेलोड: ये बड़े और भारी पेलोड, जैसे परमाणु हथियार, ले जाने में सक्षम होती हैं।
हाइपरसोनिक मिसाइलें
हाइपरसोनिक मिसाइलें वे मिसाइलें हैं जो ध्वनि की गति से कम से कम 5 गुना (मैक 5) या उससे भी अधिक गति से यात्रा करती हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत सिर्फ गति ही नहीं, बल्कि इनकी युद्धाभ्यास क्षमता भी है।
- अत्यधिक गति: ये मैक 5 से लेकर मैक 20 तक की गति से उड़ सकती हैं, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया करने का बहुत कम समय मिलता है।
- युद्धाभ्यास: ये अपनी पूरी उड़ान के दौरान रास्ता बदल सकती हैं और जटिल युद्धाभ्यास कर सकती हैं। यह विशेषता इन्हें मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग अभेद्य बना देती है।
- उड़ान पथ: ये वायुमंडल के निचले स्तर पर उड़ सकती हैं, जिससे इन्हें रडार पर पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
- प्रकार: मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं: हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs) जो बैलिस्टिक मिसाइल की तरह लॉन्च होकर फिर ग्लाइड करती हैं, और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें जो एयर-ब्रीदिंग इंजन (जैसे स्क्रैमजेट) का उपयोग करती हैं।
तकनीक के पीछे दुनिया पागल क्यों?
दुनिया के प्रमुख सैन्य ताकतें, जैसे अमेरिका, रूस, चीन और अब भारत भी, हाइपरसोनिक मिसाइल प्रौद्योगिकी में भारी निवेश कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण इनकी अभूतपूर्व गति और युद्धाभ्यास क्षमता है, जो उन्हें किसी भी मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणाली से लगभग अछूती बनाती है। जिस देश के पास प्रभावी हाइपरसोनिक मिसाइलें होंगी, उसे सैन्य बढ़त हासिल होगी, क्योंकि वह दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों को कम से कम समय और अधिक सटीकता के साथ निशाना बना सकता है, बिना पकड़े जाने के डर के। यह “फर्स्ट-स्ट्राइक” क्षमता को बढ़ाता है और सैन्य संतुलन को प्रभावित करता है, इसलिए इस तकनीक के पीछे दुनिया की होड़ लगी है।