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    क्या है अमेरिका का B-2 परमाणु बॉम्बर, जिससे थर-थर कांपती है दुनिया?

    अमेरिकी वायुसेना का B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती किलेबंदी है, जिसे दुनिया के सबसे घातक और उन्नत सैन्य विमानों में से एक माना जाता है। इसे अक्सर ‘दुनिया का अदृश्य बॉम्बर’ कहा जाता है, और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है जो दुनिया भर के दुश्मनों को थर-थर कांपने पर मजबूर करती है। कुल मिलाकर, B-2 स्पिरिट एक ऐसा रणनीतिक हथियार है जो अमेरिकी शक्ति का प्रतीक है और दुनिया भर में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    अदृश्यता की तकनीक (स्टील्थ टेक्नोलॉजी)

    B-2 की सबसे बड़ी पहचान इसकी अद्वितीय स्टील्थ तकनीक है। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह दुश्मन के रडार सिस्टम, इन्फ्रारेड सेंसर और अन्य पता लगाने वाले उपकरणों की पकड़ में न आए। इसके खास आकार, रडार-अवशोषित कोटिंग (radar-absorbing coating) और इंजन से निकलने वाली गर्मी को नियंत्रित करने वाली प्रणाली इसे लगभग अदृश्य बना देती है। यह बिना किसी को भनक लगे दुश्मन के हवाई क्षेत्र में घुस सकता है और अपने मिशन को अंजाम देकर सुरक्षित लौट सकता है।

    क्षमताओं का खजाना

    • बहु-भूमिका बॉम्बर: B-2 एक बहु-भूमिका बॉम्बर है जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। यह 16 परमाणु बम (जैसे B61-7 या B61-12) या 80,000 पाउंड (लगभग 36 टन) तक के पारंपरिक बम ले जा सकता है, जिसमें GBU-57 A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) या ‘बंकर बस्टर’ बम भी शामिल है, जो भूमिगत और किलेबंद ठिकानों को भेदने में सक्षम है।
    • लंबी दूरी की क्षमता: क्या है अमेरिका का B-2 परमाणु बॉम्बर, जिससे थर-थर कांपती है दुनिया? यह विमान एक बार में लगभग 11,000 किलोमीटर (6,900 मील) से अधिक की दूरी तय कर सकता है, और हवाई ईंधन भरने (mid-air refueling) के साथ यह 19,000 किलोमीटर (12,000 मील) से अधिक तक उड़ सकता है। यह इसे दुनिया के किसी भी कोने में हमला करने में सक्षम बनाता है।
    • ऊंचाई और गति: B-2 50,000 फीट (15,000 मीटर) की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और इसकी क्रूज गति लगभग 900 किलोमीटर प्रति घंटा (मैक 0.85) है।

    लागत और संख्या

    B-2 स्पिरिट दुनिया के सबसे महंगे विमानों में से एक है। इसकी प्रति यूनिट लागत लगभग 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 17,500 करोड़ रुपये) है। अत्यधिक लागत के कारण, अमेरिकी वायुसेना ने शुरू में 132 बॉम्बर बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन केवल 21 का ही निर्माण किया गया। वर्तमान में, लगभग 20 B-2 बॉम्बर सेवा में हैं। अमेरिका अपनी इस अत्यधिक संवेदनशील तकनीक को किसी भी अन्य देश, यहां तक कि अपने सबसे करीबी सहयोगियों (जैसे ब्रिटेन या इजरायल) को भी नहीं बेचता, ताकि इसकी विशिष्टता और सैन्य श्रेष्ठता बनी रहे।

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