भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को टेस्ट टीम का नया कप्तान नियुक्त करने के अपने फैसले को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि कप्तानी एक दीर्घकालिक भूमिका है और इसके लिए 1-2 दौरे के लिए कप्तान का चयन नहीं किया जाता। आप ऐसे खिलाड़ी में निवेश करना चाहते हैं जो हमें आगे बढ़ने में मदद करे। हमने पिछले 2 वर्षों में उनमें कुछ प्रगति देखी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इंग्लैंड में 5 मैचों की सीरीज खेलना कठिन होगा। लेकिन हम बहुत आश्वस्त हैं और यही कारण है कि हम उन्हें चुन रहे हैं। यह बयान खास तौर पर उन अटकलों पर विराम लगाने के लिए दिया गया है, जिनमें जसप्रीत बुमराह को भी टेस्ट कप्तानी का दावेदार माना जा रहा था।
यह बयान सीधे तौर पर जसप्रीत बुमराह की तरफ इशारा करता है, जो अपनी चोटों और वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण लगातार सभी टेस्ट मैच खेलने की स्थिति में नहीं रहे हैं। अगरकर ने आगे कहा कि बुमराह इंग्लैंड के खिलाफ आगामी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के सभी मुकाबले खेल पाएंगे या नहीं, इस पर उन्हें संदेह है।
चयन समिति यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि नया टेस्ट कप्तान लंबे समय तक टीम का नेतृत्व कर सके और सभी सीरीज में उपलब्ध रहे। बुमराह की हालिया चोटें और उनका वर्कलोड ऐसा नहीं कर पा रहा था, जिससे उन्हें कप्तानी की दौड़ से बाहर होना पड़ा। चयनकर्ताओं को ऐसे कप्तान की जरूरत थी जो टीम को निरंतरता प्रदान कर सके और खेल के सबसे लंबे प्रारूप में एक स्थायी नेतृत्व दे सके।
शुभमन गिल पर भरोसा
शुभमन गिल (25) की युवावस्था, उनकी लगातार प्रदर्शन और आईपीएल 2024 में गुजरात टाइटन्स की कप्तानी में दिखाए गए नेतृत्व कौशल ने उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार बना दिया। अगरकर ने गिल की क्षमता पर विश्वास जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गिल अपने नेतृत्व कौशल में सुधार करेंगे और रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गजों के बाद टीम को आगे ले जाएंगे। गिल ने पहले भी वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय में उप-कप्तान की भूमिका निभाई है, जिससे उनके पास नेतृत्व का अनुभव भी है। कुल मिलाकर, अजीत अगरकर का बयान स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट टीम अब टेस्ट कप्तानी में दीर्घकालिक स्थिरता और निरंतरता की तलाश में है, और इसी कारण शुभमन गिल को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।