महाराष्ट्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मुंबई में शिवसेना भवन के पास इस मुद्दे पर एक पोस्टर लगाया है। इस पोस्टर में लिखा है कि आम्ही हिंदू आहोत पण, हिंदी नाही.. मतलब कि हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं हैं। महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस फैसले का विरोध किया है और मुंबई में शिवसेना भवन के पास इस मुद्दे पर पोस्टर लगाए हैं।
हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं। मनसे का कहना है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और हिंदी को थोपना उनकी संस्कृति और अस्मिता पर आक्रमण है। मनसे ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हिंदी को जबरन थोपा गया तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला किया है। इस फैसले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। राज ठाकरे ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र के अन्य राजनीतिक दलों को भी अगर मराठी भाषा से थोड़ी भी निष्ठा है, तो उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए।
पोस्टर का उद्देश्य
मनसे द्वारा लगाए गए पोस्टरों का उद्देश्य सरकार के इस फैसले के प्रति अपना विरोध जताना और लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक करना है। यह मुद्दा महाराष्ट्र की भाषाई राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ले रहा है। तमिलनाडु में भी इस मुद्दे का विरोध हो रहा है और डीएमके इस पर मुखर है।