वक्फ संशोधन विधेयक पर 13 घंटे की लंबी चर्चा के बाद गुरुवार देर रात 2.30 के बाद राज्यसभा ने भी अपनी मुहर लगा दी। लोकसभा की तरह राज्यसभा ने भी विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिए। द्रमुक के तिरुचि शिवा का संशोधन 92 के मुकाबले 125 मतों से खारिज हो गया। 13 घंटे चले मंथन के बाद वक्फ विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो गया। इसके पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 95 वोट मिले। इस तरह सरकार ने दोनों बाधाओं को पार कर लिया है। अब यह विधेयक हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा और सरकार की ओर से अधिसूचित होते ही कानून का रूप ले लेगा। गौरतलब है कि इस विधेयक के विरोध में विपक्ष ने लामबंदी की लेकिन सरकार के बहुमत जुटाने के कारण उसके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए।
बहस में इन नेताओं ने लिया भाग
विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में जमकर बहस हुई। विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे,रामगोपाल यादव, कपिल सिब्बल समेत दिग्गज नेताओं ने विधेयक का विरोध किया, जबकि सत्ता पक्ष की ओर से किरेन रिजिजू, जेपी नड्डा, राधामोहन अग्रवाल, उपेंद्र कुशवाहा आदि ने मोर्चा संभाला।
वक्फ संपत्ति की सुरक्षा है मकसद : नड्डा
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि हमारा प्रयास है कि वक्फ के काम में पारदर्शिता आए। इसका मूल मकसद वक्फ संपत्ति का रखरखाव करना है। विधेयक के खिलाफ जो भ्रम फैलाया गया है, मैं उसका विरोध करता हूं। बिल को लेकर 2013 में बनी जेपीसी में सिर्फ 13 सदस्य थे, अब इस बिल को लेकर बने जेपीसी में 31 सदस्य थे।
संपत्तियां बेच ली, तब याद आई : रामगोपाल
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार को दस साल तक याद नहीं रहा कि वक्फ के पास कितनी संपत्ति और कितना पैसा है। जब उन्होंने सारी संपत्ति बेच ली, तब याद आई। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। मुसलमानों को यह नहीं लगना चाहिए कि उनसे अन्याय हो रहा है। वहीं राजद के मनोज झा ने कहा कि इस विधेयक की सामग्री और छिपा एजेंडा सरकार पर सवालिया निशान लगाता है। उन्होंने इसे मुस्लिमों को देश की मुख्यधारा से काटने की राजनीति तक करार दे दिया। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सदन में झूठ बोला गया कि न्यायाधिकरण के फैसलों को चुनौती नहीं दे सकते, जबकि वक्फ कानून 1995 की धारा 83(9) में हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
हिंदुओं की भूमि का मुद्दा उठाकर फंसे सिब्बल
चार राज्यों में हिंदू संस्थानों के पास 10 लाख एकड़ से अधिक जमीन होने का मुद्दा उठाकर निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल निशाने पर आ गए। इस पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, इन जमीनों का प्रबंधन सरकार करती है। इसके बाद सिब्बल बगलें झांकने लगे।