राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजप्रताप यादव ने अपनी पार्टी द्वारा आयोजित “वोट अधिकार यात्रा” की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस यात्रा को “फालतू” बताते हुए कहा कि इसने 16 दिनों तक लोगों का समय बर्बाद किया है।
तेजप्रताप यादव का यह बयान उनकी पार्टी के लिए एक असहज स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि यह यात्रा कांग्रेस-RJD के चुनाव अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। तेजप्रताप ने इस यात्रा के उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन 16 दिनों में यात्रा करने के बजाय, चुनाव आयोग के साथ मिलकर लोगों के वोट जुड़वाने का काम किया जा सकता था।
“जनता को धोखा दिया जा रहा”
तेजप्रताप यादव ने आरोप लगाया कि इस तरह की यात्राएं सिर्फ दिखावा हैं और इनसे कोई वास्तविक बदलाव नहीं आता है। उन्होंने कहा कि “वोट अधिकार यात्रा” के नाम पर जनता को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर पार्टी सचमुच वोटरों को जोड़ना चाहती है, तो उसे जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए और चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार वोट पंजीकरण अभियान चलाना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप का यह बयान उनकी पार्टी के नेतृत्व के साथ उनके मतभेदों को दर्शाता है। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस-RJD के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं।
तेजप्रताप के इस बयान के बाद, राजद के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया का इंतजार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस आलोचना पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या इससे उनके बीच के मतभेद और बढ़ेंगे। यह घटना बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ले सकती है, खासकर तब जब राज्य में अगले चुनाव नजदीक हैं।