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    विजय कुमार मल्होत्रा नहीं रहे: पाकिस्तान में हुआ जन्म, मनमोहन सिंह को हराया, 5 बार सांसद बने


    वरिष्ठ भाजपा नेता विजय कुमार मल्होत्रा का 94 वर्ष की आयु में मंगलवार सुबह निधन हो गया। वह पिछले 45 वर्षों तक दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहे, 5 बार सांसद और 2 बार विधायक चुने गए। उन्हें दिल्ली भाजपा के सबसे वरिष्ठ और बेदाग छवि वाले नेताओं में गिना जाता था।

    राजनीतिक जीवन की प्रमुख उपलब्धियाँ

    • मनमोहन सिंह को हराया: उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक जीत 1999 के आम चुनाव में थी, जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारी अंतर से पराजित किया था।
    • संकट में भाजपा को संभाला: 2004 के आम चुनाव में, जब कांग्रेस ने दिल्ली की 6 सीटें जीती थीं, तब मल्होत्रा ​​अपनी सीट जीतने वाले दिल्ली में एकमात्र भाजपा उम्मीदवार थे, जिसने बुरे दौर में पार्टी की साख बचाए रखी।
    • मोदी सरकार के लिए शानदार जीत: 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में कोई पद न मिलने के बावजूद, उन्होंने दिल्ली के लिए भाजपा के चुनाव अभियान अध्यक्ष का पद संभाला और पार्टी को दिल्ली की सभी 7 सीटें जीतकर शानदार जीत दिलाई।
    • मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार: 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था। उन्होंने ग्रेटर कैलाश सीट जीती, लेकिन पार्टी शीला दीक्षित सरकार को गिराने में विफल रही। बाद में उन्होंने संसद सदस्य के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई।

    शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन

    • जन्म और परिवार: मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर में हुआ था। उनके पिता डॉ. खजान चंद मल्होत्रा प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और माता सुशीला देवी आर्य समाज की कार्यकर्ता थीं।
    • शैक्षणिक प्रतिभा: वह बचपन से ही मेधावी छात्र थे। गणित में उनकी अद्भुत प्रतिभा के कारण उन्हें दो बार स्कूल में प्रमोशन मिला और उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरी की।
    • शिक्षा: उन्होंने लाहौर के डीएवी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की। उन्होंने हिंदी में एम.ए. और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध विषय कवि सोहन लाल द्विवेदी और उनकी रचनाएँ थीं।
    • शिक्षाविद: राजनीति में आने से पहले, वह दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में 35 साल तक हिंदी के प्रोफेसर रहे।

    राजनीति में प्रवेश और सामाजिक कार्य

    • शुरुआती सक्रियता: देश के बंटवारे के समय मल्होत्रा ने हजारों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। 1947 में जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया, तो वह आरएसएस के प्रचारक के रूप में सक्रिय थे।
    • छात्र राजनीति: उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी कैंप कॉलेज छात्र संघ के सचिव, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ और हंसराज कॉलेज संसद में नेतृत्व किया। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के संस्थापकों में शामिल थे और इसके पहले सचिव बने।
    • जनसंघ की स्थापना: उनकी राजनीतिक यात्रा 1951 में दिल्ली जनसंघ की स्थापना के समय शुरू हुई, जहां वह इसके पहले सचिव बने।
    • अन्य जुड़ाव: वह दिल्ली में शतरंज और तीरंदाजी क्लबों के प्रशासन से भी जुड़े रहे, और उन्हें विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का गहरा ज्ञान था।

    विजय कुमार मल्होत्रा का निधन दिल्ली की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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