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    उपराष्ट्रपति चुनाव: किसका पलड़ा भारी, जानें वोटिंग प्रक्रिया और संख्या बल का गणित

    भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होगा। इस बार मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच है। संख्या बल को देखते हुए, यह मुकाबला एकतरफा प्रतीत हो रहा है, जिसमें एनडीए का पलड़ा साफ तौर पर भारी है। लेकिन, चुनाव की प्रक्रिया को समझना और दोनों गठबंधनों की ताकत का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

    कौन करता है मतदान?

    ​उपराष्ट्रपति चुनाव में एक खास निर्वाचक मंडल मतदान करता है। इसमें केवल संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सदस्य शामिल होते हैं। इसमें निर्वाचित (elected) और मनोनीत (nominated) दोनों तरह के सदस्य वोट डाल सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, इस चुनाव में राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान नहीं करते हैं।

    वोटिंग प्रक्रिया

    ​उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान गुप्त होता है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के आधार पर एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) के माध्यम से होता है। इसका मतलब है कि प्रत्येक मतदाता को केवल एक वोट देना होता है, लेकिन वह उम्मीदवारों को अपनी पसंद के अनुसार वरीयता क्रम (priority order) में नंबर देता है। यदि किसी उम्मीदवार को पहली वरीयता के वोटों से जीत के लिए जरूरी कोटा नहीं मिलता है, तो दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होती है। चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए विशेष पेन उपलब्ध कराता है, जिसका उपयोग अनिवार्य है।

    एनडीए और इंडिया गठबंधन की ताकत

    ​इस चुनाव में संख्या बल ही निर्णायक होता है। संसद में कुल सदस्यों की संख्या लगभग 786 है (जिसमें कुछ सीटें रिक्त भी हो सकती हैं)। जीत के लिए उम्मीदवार को 394 वोटों की आवश्यकता होती है।

    • एनडीए का पलड़ा भारी: वर्तमान में, लोकसभा और राज्यसभा दोनों में मिलाकर एनडीए के पास 425 से अधिक सदस्यों का समर्थन है। इसमें लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 134 से अधिक सदस्य शामिल हैं। एनडीए को जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत है, और उनके पास आवश्यक संख्या से 33 से अधिक वोट हैं। इसके अलावा, वाईएसआरसीपी जैसे कुछ गैर-एनडीए दल भी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं, जिससे उनका संख्या बल और मजबूत हो जाता है।
    • इंडिया गठबंधन की चुनौती: ‘इंडिया’ गठबंधन के पास लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर लगभग 355 सांसद हैं। यह संख्या एनडीए की तुलना में काफी कम है। हालांकि, विपक्षी खेमा उन 133 सांसदों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है, जो अभी तक किसी भी पक्ष में नहीं हैं। लेकिन, एनडीए के मजबूत संख्या बल को देखते हुए, ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार के लिए जीत की संभावना बहुत कम है।

    ​ क्रॉस वोटिंग की भी संभावना

    ​वर्तमान संख्या बल के आधार पर, यह स्पष्ट है कि एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत आसान हो सकती है। हालांकि, चुनाव प्रक्रिया के दौरान क्रॉस वोटिंग की संभावना हमेशा बनी रहती है, लेकिन एनडीए की मजबूत स्थिति को देखते हुए यह परिणाम पर कोई खास असर नहीं डालेगा। यह चुनाव न केवल नए उपराष्ट्रपति का चयन करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि संसद में सत्ता पक्ष का कितना मजबूत दबदबा है।

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