‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में राज्यसभा में हुई बहस के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रगीत के महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। अमित शाह ने बताया कि जब अंग्रेजों ने ‘वंदे मातरम्’ पर कई प्रतिबंध लगाए थे, तब गीत के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी दृढ़ता किस प्रकार व्यक्त की थी: “मुझे कोई आपत्ति नहीं है मेरे सभी साहित्य को गंगा जी में बहा दिया जाए, यह मंत्र वंदे मातरम् अनंतकाल तक जीवित रहेगा, यह एक महान गान होगा और लोगों के हृदय को जीत लेगा और भारत के पुनर्निर्माण का यह मंत्र बनेगा।
राष्ट्र की आत्मा को किया जागरूक
शाह ने ‘वंदे मातरम्’ को केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना को जगाने वाला मंत्र बताया। “वंदे मातरम् ने एक ऐसे राष्ट्र को जागरूक किया जो अपनी दिव्य शक्ति को भुला चुका था। राष्ट्र की आत्मा को जागरूक करने का काम वंदे मातरम् ने किया। उन्होंने महर्षि अरविंद के विचारों का हवाला देते हुए कहा, “वंदे मातरम् भारत के पुनर्जन्म का मंत्र है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश
गृह मंत्री ने इस चर्चा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों सदनों में ‘वंदे मातरम्’ पर यह बहस भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि इस चर्चा से, ‘वंदे मातरम्’ के महिमा मंडन और गौरव गान से “हमारे बच्चे, किशोर, युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम् के महत्व को भी समझेगी और उसको राष्ट्र के पुनर्निर्माण का एक प्रकार से आधार भी बनाएगी।


