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    180 KM की रफ्तार से दौड़ी वंदे भारत स्लीपर, गिलास का पानी भी नहीं छलका

    भारतीय रेलवे के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) के माध्यम से जानकारी साझा की है कि नई पीढ़ी की वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा कर लिया गया है। यह परीक्षण ‘रेलवे सुरक्षा आयुक्त’ (CRS) की देखरेख में संपन्न हुआ।

    180 किमी/घंटा की तूफानी रफ्तार

    परीक्षण के दौरान ट्रेन ने राजस्थान के कोटा-नागदा रेल खंड के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति को छुआ। यह गति परीक्षण ट्रेन की स्थिरता और सुरक्षा मानकों को जांचने के लिए किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी तेज गति पर भी ट्रेन के अंदर कंपन (Vibration) और शोर का स्तर बहुत कम पाया गया, जो यात्रियों के आरामदायक सफर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

    ‘वॉटर टेस्ट’ से तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन

    रेल मंत्री ने एक विशेष ‘वॉटर टेस्ट’ का भी जिक्र किया। इस टेस्ट में ट्रेन की स्थिरता (Stability) को मापने के लिए एक गिलास में पानी भरकर उसे चलती ट्रेन के टेबल पर रखा जाता है। 180 किमी/घंटा की रफ्तार पर भी गिलास का पानी नहीं छलका, जो इस नई पीढ़ी की ट्रेन की अत्याधुनिक सस्पेंशन प्रणाली और स्वदेशी तकनीक की मजबूती को दर्शाता है।

    यात्री सुविधाओं में बदलाव

    वंदे भारत स्लीपर ट्रेन लंबी दूरी की यात्रा के लिए डिजाइन की गई है। इसमें शामिल कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

    • आरामदायक बर्थ: अतिरिक्त कुशनिंग और बेहतर स्पेस के साथ स्लीपर कोच।
    • ऑटोमैटिक दरवाजे: सभी कोचों में सेंसर-आधारित स्लाइडिंग दरवाजे।
    • आधुनिक टॉयलेट्स: बायो-वैक्यूम टॉयलेट्स और एयर प्यूरीफायर।
    • सुरक्षा: ट्रेन ‘कवच’ (Anticollision system) और सीसीटीवी कैमरों से लैस है।

    रेल मंत्री के अनुसार, यह ट्रेन ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और जल्द ही इसे प्रमुख लंबी दूरी के मार्गों पर आम जनता के लिए शुरू किया जाएगा। इससे दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे रूटों पर यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।

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