अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ अपनी आगामी बैठक से पहले एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कहा है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होना चाहिए और रूस द्वारा 2014 में कब्जा किया गया क्रीमिया प्रायद्वीप भी उसे वापस नहीं मिलेगा।
ट्रंप का यह बयान रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। वह पहले भी कह चुके हैं कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो युद्ध नहीं होता। उनका मानना है कि संघर्ष का समाधान यूक्रेन के लिए कुछ क्षेत्रीय रियायतें देने और नाटो की सदस्यता की आकांक्षा को छोड़ने में निहित है।
ट्रंप की रणनीति:
- नाटो का विस्तार रोकना: ट्रंप का मानना है कि नाटो का पूर्व की ओर विस्तार रूस की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है और यही संघर्ष की जड़ है। इसलिए, वह यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की संभावना को खत्म करके तनाव कम करना चाहते हैं।
- क्रीमिया पर रूस का नियंत्रण स्वीकार करना: क्रीमिया को वापस पाने की यूक्रेनी मांग को खारिज कर, ट्रंप एक ऐसे समझौते की नींव रखना चाहते हैं जो रूस के लिए स्वीकार्य हो। उनका यह बयान यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर जोर देता रहा है।
- बातचीत पर जोर: ट्रंप का लक्ष्य दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाना है। उनका मानना है कि युद्धविराम के बजाय एक पूर्ण शांति समझौता ही स्थायी समाधान दे सकता है।
ट्रंप के इस बयान से ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के लिए स्थिति और जटिल हो गई है, जो रूस के आक्रमण का विरोध करने के लिए एकजुटता पर जोर देते रहे हैं। ट्रंप का यह रुख यूक्रेन के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह उसके प्रमुख युद्ध लक्ष्यों – क्षेत्रीय अखंडता और पश्चिमी सुरक्षा गठबंधनों में एकीकरण – को सीधे चुनौती देता है।