महाराष्ट्र की राजनीति में दो दशक बाद एक ऐतिहासिक मोड़ देखने को मिल रहा है। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों के लिए उद्धव ठाकरे (Shiv Sena UBT) और राज ठाकरे (MNS) ने हाथ मिलाने का फैसला किया है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इस गठबंधन की पुष्टि करते हुए इसे “मुंबई को बचाने” और “मराठी मानुष” के हितों की रक्षा के लिए एक अनिवार्य कदम बताया है।
गठबंधन की मुख्य बातें
संजय राउत ने इस पुनर्मिलन पर जोर देते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों तक अलग रहने के कारण दोनों गुटों और महाराष्ट्र के हितों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। गठबंधन से जुड़ी प्रमुख जानकारी नीचे दी गई है:
- सीटों का बंटवारा: सूत्रों के अनुसार, मुंबई की कुल सीटों में से शिवसेना (यूबीटी) 145-150 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि मनसे (MNS) को 65-70 सीटें मिलने की संभावना है। शेष सीटें सहयोगियों (जैसे NCP-SP) के लिए छोड़ी जा सकती हैं।
- उद्देश्य: राउत के मुताबिक, यह गठबंधन केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि मुंबई पर “भाजपा और बाहरी शक्तियों” के प्रभाव को रोकने के लिए है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई को आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
- भावनात्मक पहलू: दोनों भाइयों का साथ आना शिवसैनिकों और मराठी वोटरों के लिए एक भावनात्मक पल है। माना जा रहा है कि इससे मराठी वोटों का विभाजन रुकेगा, जिसका सीधा फायदा ‘ब्रांड ठाकरे’ को होगा।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
इस गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी (MVA) के भीतर भी हलचल पैदा कर दी है:
- कांग्रेस का रुख: कांग्रेस ने इस गठबंधन से दूरी बना ली है और बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस का मानना है कि मनसे की विचारधारा उनके साथ मेल नहीं खाती।
- महायुति को चुनौती: एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा के लिए यह गठबंधन एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, क्योंकि दोनों ठाकरे भाई अब संयुक्त रैलियां और प्रचार करेंगे।
- अन्य नगर निगम: मुंबई के अलावा ठाणे, पुणे, नासिक और कल्याण-डोंबिवली जैसे महत्वपूर्ण नगर निगमों में भी यह गठबंधन साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा।
संजय राउत ने स्पष्ट किया कि 2006 में राज ठाकरे के अलग होने के बाद से जो खाई बनी थी, उसे अब पाटने का समय आ गया है। इस गठबंधन का औपचारिक ऐलान 24 दिसंबर को दोपहर तक किए जाने की उम्मीद है।


